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बैंक द्वारा नीलाम की गई कुर्क संपत्ति,खरीददार को आज तक नहीं मिला कब्जा

बैंक ने कुर्क संपत्ति को किया नीलाम,अब तक खरीददार को नहीं दिया कब्जा दौसा। मामला केनरा बैंक दौसा का है जिसने एक प्लॉट पर ऋण स्वीकृत कर दिया गया कुछ सालों बाद ऋण नहीं चुकाए जाने पर उक्त प्लॉट को बैंक द्वारा नीलाम कर दिया गया,लेकिन बाद में प्लाट के कब्जे को लेकर उत्पन्न हुई परेशानी ने खरीददार को भटकने पर मजबूर कर दिया है। मामला उस समय सामने आया जब बैंक ने अवैध रूप से काटे गए एक चारागाह भूमि के प्लाट पर ऋण स्वीकृत किया और फिर उस प्लाट को नीलाम कर दिया। नीलामी के बाद पीड़ित दीपक शर्मा ने 6.30 लाख रुपए में प्लॉट छुड़वाया और करीब पचपन हजार रूपये से ज्यादा रजिस्ट्री के लिए एसबीआई बैंक दौसा में चालान के जमा करवाए, लेकिन अब तक उसे कब्जा नहीं मिल रहा है। दीपक शर्मा का कहना है कि 18 दिसंबर 2023 को बैंक ने पुष्पा शर्मा पत्नी हनुमान प्रसाद शर्मा निवासी गणेश पुरा तहसील दौसा के नाम पर कुर्क संपत्ति को केनरा बैंक द्वारा नीलाम किया था। दीपक शर्मा ने पूरी रकम जमा कर दी और रजिस्ट्री के लिए केनरा बैंक ने डिविजनल मैनेजर, कोटा, बीएल मीणा को अधिकृत अधिकारी नियुक्त किया। बैंक मैनेजर विजेंद्र मीणा और ऋण विभाग के गोकुल हाडा ने नीलामी से पहले उक्त प्लॉट पर साथ जाकर उन्हें यह बताया कि प्लॉट 275 वर्ग गज का है और इसकी ईंटों से बाउंड्री की हुई हैं। लेकिन जब दीपक शर्मा ने रजिस्ट्री से पहले प्लॉट का निरीक्षण किया तो वहां नींव खुदी हुई मिली, प्लॉट के अंदर स्थित बड़े पेड़ों को भी काट दिया गया और बाउंड्री पर अनीता पत्नी पवन शर्मा का नाम लिखा हुआ था। बैंक द्वारा दिखाए गए प्लॉट में यह बदलाव पूरी राशि जमा करने के बाद था। जो प्लॉट बैंक की तरफ से दिखाया गया था उस प्लॉट पर पवन शर्मा हक़ जता रहा है, जब दीपक शर्मा ने बैंक मैनेजर विजेंद्र मीणा और गोकुल हाडा से इसकी जानकारी ली, तो पता चला कि नींव हनुमान प्रसाद शर्मा के छोटे भाई पवन शर्मा ने खुदवाई थी। पवन शर्मा का कहना था कि यह प्लॉट उनका है और यह गलत तरीके से बैंक को दिखाकर लोन लिया गया था। जब सरपंच से पूछताछ की तो सरपंच ने बताया कि ये पूरा प्लॉट ही चारागाह में है इस पर ऋण और पट्टा कैसे स्वीकृत हो गया। बैंक ने इस मामले को अपनी गलती मानते हुए स्थिति को स्वीकार किया, लेकिन फिर भी दीपक को न तो प्लॉट का कब्जा मिला और न ही जमा कराई गई रकम वापस की गई। पीड़ित दीपक शर्मा का कहना है कि वह पिछले डेढ़ साल से बैंक के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन किसी अधिकारी ने उनका मदद नहीं की जब की 30 जुलाई 24 को मेरे वकील द्वारा केनरा बैंक दौसा को लीगल नोटिक दिलवा दिया गया था साथ ही कोटा आर एम को वॉट्सएप पर नोटिस की फोटो भेज दी गई थी लेकिन आज तक कोई जवाब तक नहीं दिया गया। इस पूरे मामले की नए बैंक मैनेजर स्वाति जुत्सी से बात की तो उन्होंने बताया कि उन्हें इस मुद्दे के बारे में कोई जानकारी नहीं है और उन्होंने इस मामले को उच्च अधिकारियों को मेल द्वारा अवगत करा दिया गया है अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई आगे आप जानो और बड़े अधिकारी इसमें में कुछ नहीं कर सकती। डिविजनल मैनेजर, कोटा बीएल मीणा का कहना था कि उनका ट्रांसफर हो चुका है और यह बैंक की गलती है। तब कोटा आर एम मान सर से बात की तो उन्होंने ये कहा कि मुझे इस बारे में पता नहीं मैनेजर से बात करूंगा लेकिन काफ़ी समय बाद फिर फोन पर बात की तो आर एम मान सर ने ये कहते हुए पल्ला झाड़ लिया कि बैंक ने ऐसे कैसे कर दिया बिना फिजिकल वेरिफिकेशन किए बिना, मैनेजर विजेंद्र मीणा को ट्रांसफर से पहले इस मामले को निपटारा करके जाना था। और अब ये अधिकारी भी फोन नहीं रिसिव करते। पीड़ित दीपक शर्मा की मांग है कि उसे प्लॉट का कब्जा या उसकी जमा राशि वापस की जाए तथा दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही हो ताकि भविष्य में ऐसी घोर लापरवाही की पुनरावृति ना हो अन्यथा मजबूरन न्यायालय की शरण लेनी होगी।

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    बैंक ने कुर्क संपत्ति को किया नीलाम, अब तक खरीददार को नहीं दिया गया कब्जा

दौसा।
मामला केनरा बैंक दौसा का है जिसने एक प्लॉट पर ऋण स्वीकृत कर दिया गया कुछ सालों बाद ऋण नहीं चुकाए जाने पर उक्त प्लॉट को बैंक द्वारा नीलाम कर दिया गया,लेकिन बाद में प्लाट के कब्जे को लेकर उत्पन्न हुई परेशानी ने खरीददार को भटकने पर मजबूर कर दिया है। मामला उस समय सामने आया जब बैंक ने अवैध रूप से काटे गए एक चारागाह भूमि के प्लाट पर ऋण स्वीकृत किया और फिर उस प्लाट को नीलाम कर दिया। नीलामी के बाद पीड़ित दीपक शर्मा ने 6.30 लाख रुपए में प्लॉट छुड़वाया और करीब पचपन हजार रूपये से ज्यादा रजिस्ट्री के लिए एसबीआई बैंक दौसा में चालान के जमा करवाए, लेकिन अब तक उसे कब्जा नहीं मिल रहा है।

दीपक शर्मा का कहना है कि 18 दिसंबर 2023 को बैंक ने पुष्पा शर्मा पत्नी हनुमान प्रसाद शर्मा निवासी गणेश पुरा तहसील दौसा के नाम पर कुर्क संपत्ति को केनरा बैंक द्वारा नीलाम किया था। दीपक शर्मा ने पूरी रकम जमा कर दी और रजिस्ट्री के लिए केनरा बैंक ने डिविजनल मैनेजर, कोटा, बीएल मीणा को अधिकृत अधिकारी नियुक्त किया। बैंक मैनेजर विजेंद्र मीणा और ऋण विभाग के गोकुल हाडा ने नीलामी से पहले उक्त प्लॉट पर साथ जाकर उन्हें यह बताया कि प्लॉट 275 वर्ग गज का है और इसकी ईंटों से बाउंड्री की हुई हैं।
लेकिन जब दीपक शर्मा ने रजिस्ट्री से पहले प्लॉट का निरीक्षण किया तो वहां नींव खुदी हुई मिली, प्लॉट के अंदर स्थित बड़े पेड़ों को भी काट दिया गया और बाउंड्री पर अनीता पत्नी पवन शर्मा का नाम लिखा हुआ था। बैंक द्वारा दिखाए गए प्लॉट में यह बदलाव पूरी राशि जमा करने के बाद था। जो प्लॉट बैंक की तरफ से दिखाया गया था उस प्लॉट पर पवन शर्मा हक़ जता रहा है, जब दीपक शर्मा ने बैंक मैनेजर विजेंद्र मीणा और गोकुल हाडा से इसकी जानकारी ली, तो पता चला कि नींव हनुमान प्रसाद शर्मा के छोटे भाई पवन शर्मा ने खुदवाई थी। पवन शर्मा का कहना था कि यह प्लॉट उनका है और यह गलत तरीके से बैंक को दिखाकर लोन लिया गया था। जब सरपंच से पूछताछ की तो सरपंच ने बताया कि ये पूरा प्लॉट ही चारागाह में है इस पर ऋण और पट्टा कैसे स्वीकृत हो गया।
बैंक ने इस मामले को अपनी गलती मानते हुए स्थिति को स्वीकार किया, लेकिन फिर भी दीपक को न तो प्लॉट का कब्जा मिला और न ही जमा कराई गई रकम वापस की गई। पीड़ित दीपक शर्मा का कहना है कि वह पिछले डेढ़ साल से बैंक के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन किसी अधिकारी ने उनका मदद नहीं की जब की 30 जुलाई 24 को मेरे वकील द्वारा केनरा बैंक दौसा को लीगल नोटिक दिलवा दिया गया था साथ ही कोटा आर एम को वॉट्सएप पर नोटिस की फोटो भेज दी गई थी लेकिन आज तक कोई जवाब तक नहीं दिया गया।
इस पूरे मामले की नए बैंक मैनेजर स्वाति से बात की तो उन्होंने बताया कि उन्हें इस मुद्दे के बारे में कोई जानकारी नहीं है और उन्होंने इस मामले को उच्च अधिकारियों को मेल द्वारा अवगत करा दिया गया है अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई आगे आप जानो और बड़े अधिकारी इसमें में कुछ नहीं कर सकती। डिविजनल मैनेजर, कोटा बीएल मीणा का कहना था कि उनका ट्रांसफर हो चुका है और यह बैंक की गलती है। तब कोटा आर एम मान सर से बात की तो उन्होंने ये कहा कि मुझे इस बारे में पता नहीं मैनेजर से बात करूंगा लेकिन काफ़ी समय बाद फिर फोन पर बात की तो आर एम मान सर ने ये कहते हुए पल्ला झाड़ लिया कि बैंक ने ऐसे कैसे कर दिया बिना फिजिकल वेरिफिकेशन किए बिना, मैनेजर विजेंद्र मीणा को ट्रांसफर से पहले इस मामले को निपटारा करके जाना था। और अब ये अधिकारी भी फोन नहीं रिसिव करते।
पीड़ित दीपक शर्मा की मांग है कि उसे प्लॉट का कब्जा या उसकी जमा राशि वापस की जाए तथा दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही हो ताकि भविष्य में ऐसी घोर लापरवाही की पुनरावृति ना हो अन्यथा मजबूरन न्यायालय की शरण लेनी होगी।

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