
ध्यान दें… राजस्थान का ऐसा सरकारी अस्पताल जहां 50 रुपए दो और सुविधा लो…
सरकारी चिकित्सालयों में सरकार की तरफ से दवा से लेकर जांच तक फ्री है, लेकिन मरीज को वहां सफाई से लेकर एम्बुलेंस या ट्रोली के लिए रुपए देने पड़ रहे है। लगातार शिकायत के बावजूद पैसा वसूलने वाले बाज नहीं आ रहे है। खास बात यह है कि मरीज को अस्पताल के वार्ड तक पहुंचाना हो या ठीक होने पर बाहर तक और वार्ड में बिस्तर पर लेटे मरीज या उसके परिजनों को सफाईकर्मियों से लेकर वॉर्डबॉय तक को दस से पचास रुपए देने पड़ते है। नहीं देने पर मरीज को ट्रॉली या व्हील चेयर से मरीज को उतार तक दिया जाता है।दृश्य एक:
बांगड़ चिकित्सालय के आउटडोर में व्हील चेयर रखी थी। उसके पास कोई नहीं था। एक व्यक्ति अपनी वृद्ध बीमार मां को उस पर बैठाकर ले गए। पीछे से एक महिला कार्मिक दौड़ते आई और उस व्यक्ति को अपशब्द बोलते हुए वृद्ध महिला को उतार कर व्हील चेयर लेकर चली गई। इसके बाद दूसरे मरीज को बैठाकर मुख्यद्वार तक लाई और उससे रुपए लिए।दृश्य दो:
ट्रोमा सेंटर में इंटर्नशिप करने वाले बैठे थे। उनके पास मरीज गया और बोला दवा लिख दीजिए। जवाब मिला इस तरह नहीं रिक्वेस्ट करेंगे तो लिखेंगे। मरीज के साथ आए व्यक्ति ने कहा डॉक्टर साहब यह बीमार है, पर्ची लाया है तो दवा लिखना आपका फर्ज है। इस पर वे बोले कहां न रिक्वेस्ट करने पर लिखी जाती है।बोली मैंने मांगे नहीं
व्हील चेयर से महिला को उतारे वाली कार्मिक से पूछने पर बोली मैंने उनसे गेट पर छोड़ने पर रुपए मांगे नहीं थे। उन्होंने खुद ही दिए। जबकि हकीकत यह है कि उस वृद्ध व्यक्ति से चाय-पानी के नाम पर राशि मांगी गई थी। वहां लगे एक कार्मिक का कहना था हमें मिलता ही क्या है, पैसे नहीं लेंगे तो कैसे चलेगा।
महिला को हटाने के निर्देश दिए
महिला कार्मिक के अभद्र व्यवहार करने और मरीज के परिजनों से रुपए लेने की शिकायत मिली थी। इस पर तुरन्त ही नर्सिंग अधीक्षक से महिला को हटाने के निर्देश दे दिए।