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जेब पर नहीं बढ़ेगा बोझ, न सब्सिडी के लिए लगाना होगा चक्कर

सिद्धार्थनगर। जिले के किसानों के लिए अच्छी खबर है। अब धा

ऑनलाइन पंजीकरण कराने वाले किसानों को मिलेगा लाभ

सरकारी समितियों पर मिलने वाली अनुदानित बीज लेने के लिए किसानों का ऑनलाइन पंजीकृरण अनिवार्य है। बिना पंजीकरण और उससे मिलने वाले नंबर के बीज नहीं ले पाएंगे। क्योंकि ई पॉस मशीन पर बिना रजिस्टे्रशन के काम नहीं करेगा। इसलिए ऑनलाइन पंजीकरण जरूरी है। पंजीकरण रहेगा तो ई-पाश मशीन पर अंगूठा लगाएंगे। मात्रा दर्ज करते ही रेट के हिसाब से ५० प्रतिशत सब्सिडी काटकर पर्ची निकल जाएगा। जो धनराशि होगी उतना ही भुगतान करना होगा। इसलिए किसान किसी भी जनसेवा केंद्र से कृषि विभाग के पोर्टल पर ऑनलाइन पंजीकरण करवा सकते हैं।
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१४ समितियों पर पहुंचा इतना बीज

कृषि विभाग के 14 ब्लॉक स्तरीय समिति पर 2352 क्विंटल धान का बीज भेजा गया। इसमें महीन, मोटा और हाईब्रिड क्वालिटी के धान हैं। साथ ही ढैंचा का भी बीज गया है। अगर कम पड़ेगा तो बीज और आपूर्ति होगी। संबंधित क्षेत्र के किसान अपने सीमित पर जाकर धान की बीज ले सकते हैं। इसके लिए आधार कार्ड लेकर जाना होगा। रजिस्ट्रेशन नंबर देते ही नाम आ जाएगा।

इसलिए नहीं जाते थे किसान

कुछ किसान सरकारी समिति से इसलिए भी धान का बीज नहीं लेने नहीं जाते थे कि पहले तो सब्सिडी की बात होती थी। लेकिन उसे पूरी धनराशि देना पड़ता था। सब्सिडी की राशि मिलेगी भी या नहीं, इसकी कोई गारंटी नहीं होती थी। इसलिए किसान नहीं जाना जा रहे थे। लेकिन अब 50 प्रतिशत अनुदान की राशि काटकर देना होगा तो किसानों के जेब का बोझ कम हो जाएगा। इसलिए किसान अब सरकारी समितियों से खरीद करेंगे।

बोले किसान

किसान चिन्नू यादव, छोटेलाल और लक्ष्मीकांत ने कहा कि दो बार बीज लिया, लेकिन सब्सिडी नहीं मिली। कभी आधार कार्ड में गड़बड़ी तो कभी खाते में गड़बड़ी तो कभी पोर्टल पर अपडेट न होना बताया गया। कई बार चक्कर लगाने के बादपढ़ें

न और गेहूं का बीज खरीदने पर जेब पर अधिक बोझ नहीं बढ़ेगा और न ही अपना रुपया देकर सब्सिडी के लिए कृषि कार्यालय का चक्कर लगाना होगा। लाभ भी मिलेगा और धनराशि भी अधिक खर्च नहीं होगी। क्योंकि अब धान, गेहूं और अन्य प्रकार के अनुदानित बीज पर सब्सिडी काटकर किसानों को धनराशि जमा करना होगा। तत्काल उन्हें रसीद मिलेगा और बीज भी मिल जाएगा। हर साल सब्सिडी की दो करोड़ रुपये से अधिक राशि के लिए किसान चक्कर लगाते हैं। अपने ही रुपये के लिए दौड़ लगाने के बाद भी अधिकांश किसानों लाभ नहीं मिल पाता है। कहीं तकनीकी समस्या तो कहीं खातों में दिक्कत बताकर लौटा दिया जाता है। नई सुविधा का जिले के दो लाख से अधिक किसानों का लाभ मिलेगा। साथ ही धोखाधड़ी और दौड़भाग से मुक्ति मिलेगी।

किसानों की आय को दोगुना करने के लिए कई प्रकार की योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिससे जुड़कर किसान तरक्की कर सकें। किसानों को अनुदान पर कृषियंत्र के साथ ही धान, गेहूं, ढैंचा सहित अन्य प्रकार के बीज भी दिया जाता है। इसमें कृषियंत्र पर 50 से 70 प्रतिशत अनुदान रहता है। जबकि बीज पर 50 प्रतिशत अनुदान रहता है। लेकिन किसानों को पूरा धनराशि देकर ही कृषियंत्र और बीज मिलता है। अनुदान की राशि सब्सिडी के जरिए बैंक खाते में भेजे जाने की योजना है। लेकिन कृषियंत्र को छोड़ दिया जाए तो बीज की सब्सिडी नहीं मिल पाती है। ऐसा किसानों का आरोप रहता है। गड़़बड़ी को देखते हुए योजना में बदलाव कर दिया गया है। इसबार बीज पर सब्सिडी की राशि काटकर किसानों को धनराशि देना होगा। धान के बीज से शुरू हो गई है। इससे जिले के दो लाख से अधिक किसानों को लाभ मिलेगा। उन्हें छूट की राशि पर ही बीज मिल जाएगा। बैंक खाते में सब्सिडी आने और कृषि कार्यालय का चक्कर लगाने से निजात मिलेगा। रुपये की डूबने की समस्या समाप्त हो जाएगी।

ऑनलाइन पंजीकरण कराने वाले किसानों को मिलेगा लाभ

सरकारी समितियों पर मिलने वाली अनुदानित बीज लेने के लिए किसानों का ऑनलाइन पंजीकृरण अनिवार्य है। बिना पंजीकरण और उससे मिलने वाले नंबर के बीज नहीं ले पाएंगे। क्योंकि ई पॉस मशीन पर बिना रजिस्टे्रशन के काम नहीं करेगा। इसलिए ऑनलाइन पंजीकरण जरूरी है। पंजीकरण रहेगा तो ई-पाश मशीन पर अंगूठा लगाएंगे। मात्रा दर्ज करते ही रेट के हिसाब से ५० प्रतिशत सब्सिडी काटकर पर्ची निकल जाएगा। जो धनराशि होगी उतना ही भुगतान करना होगा। इसलिए किसान किसी भी जनसेवा केंद्र से कृषि विभाग के पोर्टल पर ऑनलाइन पंजीकरण करवा सकते हैं।

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१४ समितियों पर पहुंचा इतना बीज

कृषि विभाग के 14 ब्लॉक स्तरीय समिति पर 2352 क्विंटल धान का बीज भेजा गया। इसमें महीन, मोटा और हाईब्रिड क्वालिटी के धान हैं। साथ ही ढैंचा का भी बीज गया है। अगर कम पड़ेगा तो बीज और आपूर्ति होगी। संबंधित क्षेत्र के किसान अपने सीमित पर जाकर धान की बीज ले सकते हैं। इसके लिए आधार कार्ड लेकर जाना होगा। रजिस्ट्रेशन नंबर देते ही नाम आ जाएगा।

इसलिए नहीं जाते थे किसान

कुछ किसान सरकारी समिति से इसलिए भी धान का बीज नहीं लेने नहीं जाते थे कि पहले तो सब्सिडी की बात होती थी। लेकिन उसे पूरी धनराशि देना पड़ता था। सब्सिडी की राशि मिलेगी भी या नहीं, इसकी कोई गारंटी नहीं होती थी। इसलिए किसान नहीं जाना जा रहे थे। लेकिन अब 50 प्रतिशत अनुदान की राशि काटकर देना होगा तो किसानों के जेब का बोझ कम हो जाएगा। इसलिए किसान अब सरकारी समितियों से खरीद करेंगे।

बोले किसान

किसान चिन्नू यादव, छोटेलाल और लक्ष्मीकांत ने कहा कि दो बार बीज लिया, लेकिन सब्सिडी नहीं मिली। कभी आधार कार्ड में गड़बड़ी तो कभी खाते में गड़बड़ी तो कभी पोर्टल पर अपडेट न होना बताया गया। कई बार चक्कर लगाने के बाद भी सब्सिडी नहीं मिली। इसके बाद निजी पर खरीदना वाजिब लगा। लेकिन योजना में बदलाव हुआ तो जिले के लाखों किसानों को लाभ मिलेगा।

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बोले जिम्मेदार

अब किसानों को धान का बीज लेने पर सब्सिडी की राशि काटकर भुगतान करना होगा। उन्हें पूरी राशि नहीं देनी होगा। अनुदान की राशि काटकर देंगे, खाता में सब्सिडी जाने का चक्कर दूर हो गया है।

-मुहम्मद मुजम्मिल, जिला कृषि अधिकारी

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