अवैध कट्टा फैक्ट्री का भंडाफोड़, एक गिरफ्तार

सिद्धार्थ नगर।एसओजी और मोहाना पुलिस की संयुक्त टीम ने मंगलवार रात अवैध तमंचा बनाने की फैक्ट्री का भंडाफोड़ करते एक शातिर अपराधी को गोपीजोत गांव से दबोच लिया।उसके कब्जे से पांच बना हुआ तमंचा, अर्धनिर्मित तमंचा और उससे जुड़ी सामग्री बरामद की है। पकड़े गए बदमाश पर जिले के विभिन्न थानों में 18 मुकदमें दर्ज हैं। पूछताछ के बाद पुलिस ने न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया।
पुलिस अधीक्षक प्राची सिंह ने बताया कि अपराधियों पर कार्रवाई के लिए लगातार अभियान चलाया जा रहा है। इसी बीच मोहाना पुलिस को जानकारी मिली कि क्षेत्र के गोपीजोत स्थिति एक मड़ई में अवैध असलहा बनाने की फैक्ट्री शातिर बदमाश चला रहा है। सूचना को संज्ञान में लेते हुए एसओजी प्रभारी शेषनाथ यादव, चौकी प्रभारी पुरानी नौगढ़ अनूप कुमार मिश्र, सर्विलांस सेल प्रभारी सिंह की संयुक्त टीम तैयार हुई। मंगलवार रात में ही पुलिस टीम ने बताए हुए स्थान पर पहुंचकर घेराबंदी कर ली। मड़ई के समीप पहुंचने पर खटखट की आवाज आ रही थी। अपने आप को छिपते छिपाते हुए मड़ई को चारों तरफ से घेर लिया गया। पुलिस वालों को देखकर एक व्यक्ति मड़ई से निकलकर भागने का प्रयास किया, जिसे 10-15 कदम दूर जाते-जाते खेत में पकड़ लिया गया। पकड़ा गया व्यक्ति बंजारों की आवाज में चिल्लाने लगा। पकड़े गये व्यक्ति से नाम पता पूछने पर अपना नाम असगर अली उर्फ किनकिन निवासी गोपीजोत थाना मोहाना बताया। इसके खिलाफ कई थानों में 18 मुकदमें दर्ज हैं। पूछताछ करने के बाद केस दर्ज करके न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया, जहां से जेल भेज दिया गया।
पांच तमंचा, एक अदद अर्धनिर्मित तमंचा, छोटा-बड़ा 12 नाल, एक अदद छीनी, दो हथौड़ी, दो लोहे की सड़सी, चार अदद पेचकस छोटा-बड़ा, एक लोहा काटने की आरी ब्लेड लगा हुआ, तीन आरी ब्लेड, पांच रिंच छोटा बड़ा, एक अदद लोहे की फूंकनी, एक रेती, एक सुम्ही, एक लोहे का ठीहा, एक लोहे की धौकनी मशीन, 14 लोहे का पट्टी छोटी बड़ी, 31 छोटा, बड़ा रिपिट 29, नट बोल्ट छोटा बड़ा, 21 स्प्रिंग छोटा बड़ा, रेकमार पेपर लगभग एक फिट, कोयला आदि बरामद किया।
पूछताछ में असगर अली ने बताया कि वह एक तमंचा पांच से 10 हजार रुपये में बेचता था। किसी के माध्यम से लोग आते थे और उन्हें दे देता था। तमंचा सीमावर्ती क्षेत्र में बेचता था, जिससे उस तक कोई पहुंच न करके। अपने ठिकाने के बारे मैं भी किसी को जानकारी नहीं देता था। तमंचा से मिलने वाले रुपये से गुजर बसर करता था।