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राजस्थान के 14 विश्वविद्यालयों डिफॉल्टर घोषित

यूजीसी 157 विश्वविद्यालयों को डिफॉल्टर घोषित किया है।


(यूजीसी)विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने देश की 157 यूनिवर्सिटीज को डिफॉल्टर घोषित कर दिया है। इनमें 14 विश्वविद्यालय राजस्थान के हैं। हैरान करने वाली बात यह है कि राजस्थान के इन 14 डिफाल्टर विश्वविद्यालयों में 7 सरकारी विश्वविद्यालय भी शामिल हैं। सर्वाधिक 16 विश्वविद्यालय मध्य प्रदेश के हैं जिन्हें डिफॉल्टर की सूची में डाला गया है। कुल 108 सरकारी, 47 प्राइवेट और 2 डीम्ड यूनिवर्सिटीज को डिफॉल्टर घोषित किया गया है। तय समय और नियमानुसार विश्वविद्यालयों में लोकपाल की नियुक्ति नहीं करने पर यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (यूजीसी) ने 157 डिफॉल्टर विश्वविद्यालयों की सूची जारी की है।

नई शिक्षा नीति की पालना अनिवार्य
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में सभी विश्वविद्यालयों को लोकपाल की नियुक्ति करना अनिवार्य किया है ताकि छात्र छात्राओं के मामलों को गंभीरता से सुना जा सके और उनका हल निकाला जा सके। लोकपाल की नियुक्ति के लिए भी कई प्रावधान तय किए गए हैं। इनमें सेवानिवृत्त न्यायाधीश को लोकपाल नियुक्त करने सहित अन्य प्रावधान शामिल हैं। जिन विश्वविद्यालयों ने नई शिक्षा नीति को ध्यान में रखते हुए लोकपाल नियुक्त नहीं किए। उन विश्वविद्यालयों को डिफॉल्टर घोषित करके आगाह किया गया है ताकि वे जल्द से जल्द नियुक्ति कर सकें। डिफॉल्टर विश्वविद्यालयों को यूजीसी की ओर से चेतावनी जारी की गई है।

राजस्थान के 14 डिफाल्टर विश्वविद्यालयों की सूची यहां देखें
1. अपेक्स यूनिवर्सिटी, जयपुर
2. मौलाना आजाद यूनिवर्सिटी, जोधपुर
3. पैसिफिक मेडिकल यूनिवर्सिटी, उदयपुर
4. प्रताप यूनिवर्सिटी, जयपुर
5. श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय, निम्बाहेड़ा चित्तौड़गढ़
6. जोधपुर नेशनल यूनिवर्सिटी, जोधपुर
7. जय मिनेश आदिवासी यूनिवर्सिटी, कोटा
8. बाबा आमटे दिव्यांग यूनिवर्सिटी, जयपुर
9. जय नारायण व्यास यूनिवर्सिटी, जोधपुर
10. महाराजा गंगा सिंह यूनिवर्सिटी, बीकानेर
11. राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ वेटरनरी एंड एनिमल साइंस, बीकानेर
12. स्वामी केशवानंद राजस्थान एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, बीकानेर
13. यूनिवर्सिटी ऑफ कोटा, कोटा
14. विश्वकर्मा स्किल यूनिवर्सिटी, जयपुर

विश्वविद्यालयों की मान्यता पड़ी संकट में
विश्वविद्यालयों के डिफाल्टर घोषित होने से उनकी मान्यता पर सवाल खड़े हो गए हैं। यूजीसी के निर्देशों का पालना नहीं करने पर यूजीसी ने इन विश्वविद्यालयों को दोषी करार दिया है। यूजीसी की हिदायत के बावजूद भी अगर लोकपाल की नियुक्तियां नहीं की जाती है तो विश्वविद्यालयों की मान्यता संकट में पड़ सकती है। ऐसे में इन विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले हजारों स्टुडेंट्स की डिग्रियां अटक सकती हैं। जैसे ही विश्वविद्यालयों के डिफाल्टर घोषित किए जाने की खबरें सामने आई। तब से छात्र छात्राओं में भय का माहौल है।

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