
विश्वासघात- डॉ एच सी विपिन कुमार जैन
यहां तक कि,
भगवान भी सो गया है।
देखो इस ब्रह्मांड में,
क्या से क्या हो गया है।
भूलकर धर्म अपना,
ले उसी की आड़ को।
करता विश्वासघात,
इंसान को क्या से क्या हो गया है।
करके धर्मों का विश्लेषण,
आपस में लड़ा रहा।
पी रहा महंगी शराब,
मौज मस्ती मना रहा।
देकर शांति का भाषण,
इज्जत से खिलवाड़,सरेआम कत्लेआम करवा रहा।
सफेद पोशाक पहने,
देखो वो नेता आ रहा।
तरस रहे बच्चे,
अनाज के इक-इक दाने को।
पर वो देखो,
गोदामों में भरवा रहा।
गरीबी बढ़ी इस कदर”विख्यात”
रह गया कमीज का कांलर।
पर वो देखो,
चंदन, हाथी दांत का फर्नीचर बनवा रहा।