
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस संभावनाएं या संकट-शिवानी जैन एडवोकेट
ऑल ह्यूमंस सेव एंड फॉरेंसिक फाउंडेशन डिस्टिक वूमेन चीफ शिवानी जैन एडवोकेट ने कहा कि
मनुष्य समस्याओं को हल करने और निर्णय लेने के लिए उपलब्ध जानकारी के साथ-साथ तारक का भी उपयोग करता है। तो मशीन वही काम क्यों नहीं कर सकती हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस केवल कंप्यूटर सिस्टम है जो उन कौशलों को निष्पादित करने में सक्षम है। जिनके लिए सामान्य रूप से मानव बुद्धि की आवश्यकता होती है।
थिंक मानवाधिकार संगठन एडवाइजरी बोर्ड मेंबर डॉ कंचन जैन ने कहा कि एआइ में भी कुछ मामलों में खामियां नजर आती है। यह लोगों के समूहों के साथ भेदभाव करने के लिए जाना जाता है। सेल्फ ड्राइविंग कारों को लें। अगर वे नियंत्रण खो देती है और दुर्घटनाग्रस्त हो जाती हैं तो आप न केवल कार के भीतर लोगों की जान जोखिम में डालेंगे बल्कि कार के आसपास मौजूद उन लोगों की भी जान जोखिम में डालेंगे।
मां सरस्वती शिक्षा समिति के प्रबंधक डॉ एच सी विपिन कुमार जैन , संरक्षक आलोक मित्तल एडवोकेट, ज्ञानेंद्र चौधरी एडवोकेट, डॉ नरेंद्र चौधरी, डॉ आरके शर्मा, सार्क फाउंडेशन की तहसील प्रभारी डॉ एच सी अंजू लता जैन बीना एडवोकेट आदि ने कहा कि शोधकर्ताओं का कहना है कि आई का दुरुपयोग बड़े पैमाने पर हमले की अनुमति देकर डिजिटल भौतिक और राजनीतिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करता है। जबकि कृत्रिम बुद्धिमत्ता की बात आती है तो स्वचालित कारों को कब्जे में ले लिए जाने पर और दुर्घटनाग्रस्त होने से लेकर ड्रोन को निशाना बनाने वाली हथियार बनने तक की चिताओं को संभावनाओं के रूप में जाना जाता है।उन्होंने कहा किशिक्षा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के फायदों को इसकी संभावित कमियों के साथ संतुलित करने के लिए सावधानीपूर्वक योजना और विचार के साथ-साथ निरंतर मूल्यांकन की आवश्यकता होती है। एआई शिक्षकों को सशक्त बना सकता है, सीखने में तेजी ला सकता है और शैक्षिक अनुभवों को जल्दी और आसानी से निजीकृत कर सकता है।
शिवानी जैन एडवोकेट
डिस्ट्रिक्ट वूमेन चीफ