
जैन धर्म में अहिंसा सर्वोपरि- डॉ एच सी विपिन कुमार जैन
ट्रस्टी भारतीय जैन मिलन फाउंडेशन डॉ एच सी विपिन कुमार जैन ने महावीर जयंती के अवसर पर कहा कि जैन धर्म के बारे में अन्य धर्मों के लोगों ने भी इसके सिद्धांतों की प्रशंसा भी की है। महावीर की शिक्षाएँ हमें जीवन की कठिनाइयों से जूझना, सकारात्मकता बनाए रखना और उम्मीद न खोना सिखाती हैं। उनका पूरा जीवन कठिन तपस्या के माध्यम से प्राप्त आत्मज्ञान का एक उदाहरण है, केवल तभी जब किसी को उन सिद्धांतों पर पूरा विश्वास है, जिनमें वह विश्वास करता है।
महावीर जयंती अन्य जीवित प्राणियों के कष्टों के प्रति सांप्रदायिक सद्भाव और विचार को भी बढ़ावा देता है। यह हमें जानवरों, मनुष्यों और अन्य प्राणियों की मदद करने के लिए प्रोत्साहित करता है; जो किसी भी तरह की बीमारी, गरीबी या अन्य से पीड़ित हैं। यह किसी भी मानव के तपस्वी कर्मों को जाति, पंथ या धर्म के जनसांख्यिकीय विभाजनों से उपर रखता है।
जैन धर्म में अहिंसा को सर्वोपरि बताया गया है। भगवान महावीर ने अपनी तपस्या से आत्मज्ञान को प्राप्त किया और जिन्होंने अपनी इंद्रियों और भावनाओं पर पूरी तरह से विजय प्राप्त की। इस दौरान भगवान महावीर ने दिगंबर स्वीकार कर लिया, दिगंबर मुनि आकाश को ही अपना वस्त्र मानते हैं इसलिए वस्त्र धारण नहीं करते हैं। करीब 600 वर्ष पहले कुण्डलपुर में क्षत्रिय वंश में पिता सिद्दार्थ और माता त्रिशला के यहां चैत्र शुक्ल तेरस को वर्धमान का जन्म हुआ। वर्धमान को महावीर के अलावा वीर,अतिवीर और सन्मति भी कहा जाता है। भगवान महावीर ने पूरे समाज को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाया।