A2Z सभी खबर सभी जिले कीUncategorizedअन्य खबरेदेशविदेशव्यापार
Trending

ट्रंप के टैरिफ प्लान को बड़ा झटका, अमेरिकी कोर्ट ने लगा दी रोक

ट्रंप ने उन देशों से आने वाले सामान पर समान रूप से टैक्स लगाने का आदेश दिया था, जो अमेरिका से कम सामान खरीदते हैं और उसे ज्यादा सामान बेचते हैं. इस कदम को 'लिबरेशन डे' टैरिफ कहा गया था. राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप ने ऐसे देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया था लेकिन इस फैसले को अमेरिका के व्यापारियों ने कोर्ट में चुनौती दी और अब ट्रंप को कोर्ट से बड़ा झटका लगा है.

नई दिल्ली:-अमेरिका के ट्रंप प्रशासन को एक बार फिर बड़ा झटका लगा है. इस बार कारण, अमेरिका की एक कोर्ट है जिसने ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए ‘लिबरेशन डे’ टैरिफ पर रोक लगा दी है. दरअसल, अमेरिका की मैनहेटन संघीय अदालत ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए ‘लिबरेशन डे’ टैरिफ को असंवैधानिक करार देते हुए उस पर रोक लगा दी है.
मैनहैटन स्थित कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड की तीन जजों की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि ट्रंप ने अपने संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करते हुए ऐसा कदम उठाया जो अमेरिकी संविधान के अनुरूप नहीं है.

क्या था ‘लिबरेशन डे’ टैरिफ?
ट्रंप प्रशासन ने अप्रैल में उन देशों से आने वाले सामान पर समान रूप से भारी टैरिफ (आयात शुल्क) लगाने की घोषणा की थी, जो अमेरिका से कम सामान खरीदते हैं लेकिन उसे ज्यादा निर्यात करते हैं. इसे ‘लिबरेशन डे’ टैरिफ नाम दिया गया था. इस फैसले का उद्देश्य व्यापार घाटे को कम करना बताया गया, लेकिन अमेरिकी व्यापारियों और कई राज्य सरकारों ने इसे कानूनी चुनौती दी.

कोर्ट का दो-टूक फैसला
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि विदेशी व्यापार नीति तय करने का अधिकार अमेरिकी संविधान के अनुसार केवल कांग्रेस के पास है, न कि राष्ट्रपति के पास. अदालत ने यह भी कहा कि ट्रंप द्वारा लागू किए गए टैरिफ किसी वास्तविक आपातकाल की स्थिति के अंतर्गत नहीं आते.

जजों ने लिखा, “राष्ट्रपति द्वारा टैरिफ लागू करने की यह कार्रवाई, जिसकी कोई समय या दायरे की सीमा नहीं है, कानून के अधिकार से बाहर जाती है. IEEPA (International Emergency Economic Powers Act) ट्रंप को ऐसा असीमित अधिकार नहीं देता.”

Related Articles

ट्रंप प्रशासन की दलील खारिज
ट्रंप प्रशासन ने अपनी दलील में 1971 के रिचर्ड निक्सन के फैसले का हवाला दिया, जब तत्कालीन राष्ट्रपति ने आपातकाल के तहत टैरिफ लगाए थे. प्रशासन ने यह भी कहा कि आपातकाल की वैधता तय करना कोर्ट का नहीं, बल्कि कांग्रेस का अधिकार है. लेकिन अदालत ने इन दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि व्यापार घाटा दशकों से मौजूद है, और इसे आपात स्थिति करार देना तथ्यों पर आधारित नहीं है.

चुनौती देने वाले कौन थे?
यह फैसला दो अहम मामलों में आया एक अमेरिकी छोटे व्यापारियों के समूह द्वारा दायर याचिका और दूसरा 12 डेमोक्रेटिक राज्यों के अटॉर्नी जनरल्स की ओर से. याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि IEEPA का इस्तेमाल कर वैश्विक स्तर पर टैरिफ लगाना ट्रंप के अधिकार क्षेत्र से बाहर है.

अब आगे क्या?
ट्रंप प्रशासन इस फैसले को यूएस कोर्ट ऑफ अपील्स फॉर द फेडरल सर्किट में चुनौती दे सकता है, और अगर जरूरत पड़ी तो मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी जा सकता है. यह पहला अवसर है जब किसी संघीय अदालत ने ट्रंप के टैरिफ नीति को अवैध घोषित किया है, जो भविष्य में ऐसे फैसलों के लिए एक अहम मिसाल बन सकता है.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूएस ट्रेड कोर्ट द्वारा उनके नए ‘लिबरेशन डे’ टैरिफ को रोक दिए जाने के तुरंत बाद ट्रुथ सोशल पर पोस्ट किया. उन्होंने अपनी एक फोटो शेयर की, जिस पर लिखा था: “वो ईश्वर के मिशन पर हैं और जो होने वाला है, उसे कोई नहीं रोक सकता. Manhattan में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार न्यायालय ने बुधवार को फैसला सुनाया कि ट्रंप के पास इन नए टैरिफ को लागू करने का कानूनी अधिकार नहीं है. न्यायाधीशों ने कहा कि केवल अमेरिकी कांग्रेस ही अन्य देशों के साथ व्यापार को कंट्रोल कर सकती है और राष्ट्रपति इस उद्देश्य के लिए आपातकालीन पावर का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं.

टैरिफ को “गैरकानूनी, लापरवाही और विनाशकारी कहा
न्यायालय ने कहा कि वो ये नहीं तय कर सकते कि टैरिफ एक अच्छा विचार था या नहीं, कानून राष्ट्रपति को इस तरह से उनका इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं देता है. इसलिए दो मुकदमे दायर किए गए. एक मुकदमा लिबर्टी जस्टिस सेंटर की ओर से आयात पर निर्भर पांच छोटे अमेरिकी व्यवसायों की ओर से आया था. दूसरा मुकदमा ओरेगन अटॉर्नी जनरल डैन रेफील्ड के नेतृत्व में 13 अमेरिकी राज्यों की ओर से आया था. न्यूयॉर्क वाइन आयातक और शैक्षिक किट बनाने वाली कंपनी सहित व्यवसायों ने कहा कि टैरिफ उनके काम को नुकसान पहुंचाएंगे. रेफील्ड ने टैरिफ को “गैरकानूनी, लापरवाह और आर्थिक रूप से विनाशकारी कहा.

ट्रंप ने अमेरिकी व्यापार घाटे को राष्ट्रीय आपातकाल कहा
ट्रम्प ने अप्रैल में टैरिफ पेश किया जिसमें अमेरिकी व्यापार घाटे को राष्ट्रीय आपातकाल कहा गया. उन्होंने सभी आयातों पर 10% टैक्स लगाने की योजना बनाई और चीन जैसे देशों के लिए और भी अधिक दरें लगाने की योजना बनाई, जो अमेरिका को खरीदने से ज्यादा बेचते हैं. इनमें से कई टैरिफ एक सप्ताह बाद रोक दिए गए थे. 12 मई को व्हाइट हाउस ने कहा कि वह एक नए व्यापार सौदे पर काम करते हुए चीन पर सबसे अधिक टैरिफ कम करेगा. अमेरिका और चीन कम से कम 90 दिनों के लिए एक-दूसरे पर टैरिफ कम करने पर सहमत हुए. फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है और यहां तक कि अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में भी जा सकती है.

राष्ट्रीय आपातकाल को चुनौती दे सकती है
ट्रम्प टैरिफ लगाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति अधिनियम (IEEPA) का उपयोग करने वाले पहले राष्ट्रपति हैं. कानून का इस्तेमाल आमतौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा खतरों के दौरान किया जाता है, उदाहरण के लिए, दुश्मन देशों से जुड़े धन को फ्रीज करने के लिए. न्याय विभाग ने कहा कि मुकदमों को वापस ले लिया जाना चाहिए क्योंकि व्यवसायों ने अभी तक टैरिफ का भुगतान नहीं किया है और केवल कांग्रेस ही IEEPA के तहत राष्ट्रीय आपातकाल को चुनौती दे सकती है.

VISHAL LEEL KURUKSHETRA HARYANA

Editor, Anchor, digital content creator, Senior media person,
Back to top button
error: Content is protected !!