
पूर्व मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता महेंद्र नाथ सोफ्त जी की कलम से
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8 मार्च 2024–
(#कांग्रेस_के_6_अयोग्य-विधायक_किसी_मानव_बम_से_कम_नहीं)-
दुनियाभर मे बड़े लोगों की हत्या करने के लिए मानव बम का इस्तेमाल किया जाता है। आंतकवादी संगठन इसके लिए किसी एक व्यक्ति को मानसिक रूप से मरने के लिए तैयार करते है। हमारा सारा रक्षात्मक तान—बाना इस विश्वास के इर्द-गिर्द बुना गया है कि हर व्यक्ति को अपनी जान प्यारी है, लेकिन यदि कोई अपनी जान का मोह छोड़ दे तो वह किसी के लिए भी खतरा बन सकता है। मानव बम को विशेष रूप से ट्रेनिंग भी दी जाती है। मानव बम अपने शरीर पर बम बांध कर अपने टार्गेट के निकट जाते है और जब बम फटता तो उनका टार्गेट मानव बम सहित उड़ जाता है। स्मरण रहे राजीव गांधी हत्या भी धनु नाम की एक महिला मानव बम को इस्तेमाल कर की गई थी। कभी-कभी मानव बम की चूक के चलते मानव बम उड़ जाता है और टार्गेट बच जाता है। मेरी समझ मे हिमाचल के 6 अयोग्य विधायकों का इस्तेमाल भी बतौर मानव बम किया गया है। वह सरकार और मुख्यमंत्री से तो नाराज थे ही लेकिन उनके अपनी विधानसभा सदस्यता गंवाने तक के जोखिम को उठाने के लिए तैयार करना बड़ी बात थी। मेरी समझ मे इन 6 विधायकों मे अधिकांश उनके द्वारा क्रास वोटिंग करने और विह्प की अवहेलना करने के परिणामों का अन्दाजा नहीं लगा सके या तो उन्हे इसका ज्ञान नहीं था या उन्हे इसके लिए मानव बम की तर्ज पर मानसिक रूप से तैयार कर दिया गया था।
इस सारे एपीसोड के अवलोकन के बाद आप इस निष्कर्ष पर पहुंचते हो कि चूक के चलते इनका टार्गेट सुख की सरकार मानव बम के हमले के बावजूद बच निकला। यह 6 विधायक अपनी सदस्यता गवां कर पंचकूला के होटल मे सुप्रीम कोर्ट की ओर देख रहे है और कोर्ट से राहत की उम्मीद कर रहे है। निर्वाचित व्यक्ति की सीट का यू चले जाना बड़ी दुर्घटना है। सर्वविदित है भारत मे न्यायालय से न्याय प्राप्त करना आसान नहीं है। मैरिट पर आपका केस जितना भी स्ट्रांग हो लेकिन कोर्ट की एक लम्बी प्रक्रिया मे से गुजरना होता है। जब तक निर्णय आता है वह आपके काम का नहीं रहता है। मेरी समझ मे स्पीकर के आदेश का स्थगन आदेश मिल भी गया तो भी वोटिंग अधिकार याचिका के निपटान तक मिलना मुश्किल है। खैर अब तो बात बहुत आगे चली गई है। अब वह पूर्व विधायक है और उनके पास सदस्यता प्राप्ति के दो ही विकल्प है। एक कोर्ट और दूसरा उपचुनाव। अब बॉल या तो कोर्ट के पाले मे है या निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं के हाथ मे। मेरे विचार मे उनके इस एक्शन को सेल्फ गोल या राजनैतिक आत्महत्या के रूप मे परिभाषित किया जा सकता है। राम भला करें
#आज_इतना_ही।