
पूर्वांचल।आजमगढ़, आजमगढ़ की बेटी डाक्टर ज़रीन ने इस लाइन को पुरी तरह सही ठहरा दिया है कि *इंसान के हालात कैसे भी बस हौसले बुलंद होने चाहिए।कोरोना जैसी महामारी में अपनी माँ को खो चुकी ज़रीन ने अपने हौसले के दम पर एमसीआई इंतिहान में 300 में से 206 अंक हासिल करके जिले का नाम रोशन कर दिया है।
आजमगढ़ के इल्मी मामले में मशहूर शख्सियत सदर इसलाह मरहूम मौलवी अबुल हसन इस्लाही की पोती और डाक्टर साकिब जमाल की बेटी ज़रीन जमाल का यह सफर इतना आसान नहीं था मगर इस बेटी ने अपने हौसले को गिरने नहीं दिया और अपने वालिद और मरहूम वालिदा के ख्वाब को पुरा करना अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया।
आपको बताते चले कि डाक्टर ज़रीन जमाल की शुरुआती तालीम क्षेत्र के मशहूर चिल्ड्रेन काॅलेज से हुई उसके बाद एमबीबीएस एमडी की पढ़ाई के लिए किर्गिस्तान चली गई। एमसीआई (एफ एम जी) की परीक्षा पहले ही प्रयास से क्रेक करके यह उपलब्धि हासिल की। इस परीक्षा में कुल 38535 परीक्षार्थी बैठे जिनमें से महज़ 7781 परीक्षार्थी पास हुए।
- डाक्टर ज़रीन जमाल के पिता साकिब जमाल अपनी खुशी को बंया करते हुए बताते हैं कि आज मुझे इस बात फख्र है कि मैं इतनी काबिल बेटी का बाप हूँ मेरी बेटी ने मेरे साथ साथ अपने पुरे खानदान का नाम रोशन कर दिया है। अपनी इस कामयाबी का श्रेय अपने माता पिता को देती हुई डाॅक्टर ज़रीन जमाल ने कहा कि माँ के इंतकाल के बाद मैं बिलकुल टूट गई थी मगर मेरे पिता ने मेरे हौसले को टूटने नहीं दिया आज मैं जो कुछ भी कर पाई हूँ उसके पीछे मेरे माता पिता की दुआओँ का बहुत बड़ा हाथ
है।