
मनोज पटेल के काले कारनामों और गंभीर आरोपों के बीच उठ रही तत्काल निलंबन की मांग।
सरायपाली : सेजेस सरायपाली विद्यालय के पूर्व प्रभारी प्राचार्य मनोज पटेल के खिलाफ भ्रष्टाचार, प्रशासनिक अनियमितताओं, और अनुशासनहीनता के गंभीर आरोप सामने आने के बाद उठ रही तत्काल निलंबन की मांग।
कयास लगाया जा रहा है कि मनोज पटेल ने अपने कार्यकाल में किए घोटालों और गड़बड़ियों से बचने के लिए ही नवनियुक्त प्रभारी प्राचार्य को प्रभार सौंपने से इनकार कर दिया है, उनके इस कृत्य से विद्यालय का प्रशासनिक तंत्र पूरी तरह प्रभावित हो रहा है।
मनोज पटेल 16 दिनों से विद्यालय के शासकीय दस्तावेज और अलमारी की चाबियां नहीं सौंप रहे हैं, और बिना किसी को प्रभार दिए मेडिकल लिव पर हैं। सामान्य प्रशासनिक नियम के अनुसार, मेडिकल लिव पर भी प्रभार सौंपना अनिवार्य होता है, लेकिन मनोज पटेल ने अपनी चरम अनुशासनहीनता का परिचय देते हुए इस जिम्मेदारी से भागने का प्रयास किया है और प्रशासन के आदेश की अवहेलना की है। इससे विद्यालय के सुचारू संचालन में बाधा उत्पन्न हो रही है।
सत्र 2023-24 में 19 CL लेने और मनमानी छुट्टियों का विवाद
सत्र 2023-24 में मनोज पटेल ने किस आधार पर 19 CL (Casual Leave) लिया जबकि 13 CL का नियम है ।इसके अलावा, वे अपने करीबियों को मनमानी छुट्टियां देते रहे और जब जांच की बात आई, तो बिना किसी ठोस आधार के CL को कुट रचना कर EL (Earned Leave) में बदल दिया। यह पूरी प्रक्रिया संदिग्ध और अनुचित और घोर अनुशासनहीनता मानी जा रही है। क्या यह संभव है कि प्राचार्य की सहमति बिना ऐसा आपत्तिजनक कृत्य किया जा सकता है?
दूसरी घटना, स्थानांतरण आदेश पढ़ने के बाद मनोज पटेल ने एक महीने का मेडिकल लिव लगाया। सवाल उठता है कि ऐसी कौन-सी बीमारी ने अचानक उन्हें घेर लिया? क्या यह स्थानांतरण से बचने के लिए कुटिल चाल है? साथ ही, बिना प्रभार सौंपे कैसे मेडिकल लिव लिया? क्या यह प्रशासनिक नियमों का उल्लंघन नहीं है।
स्थानांतरण के बाद मनोज पटेल ने नवनियुक्त प्राचार्य से फोन पर गाली-गलौज की, जो अनुशासनहीनता और योग्य कर्मचारी की मर्यादा के सर्वथा विपरीत है, यह उनकी अनुशासनहीनता और अमर्यादित आचरण स्पष्ट उदाहरण है। क्या किसी भी शासकीय कर्मचारी को यह शोभा देता है?खुद को योग्य, मर्यादित और अनुशासन प्रिय बताने वाले मनोज पटेल स्वयं ऐसा अनुशासनहीन कृत्य कर रहे हैं, आखिर क्यों? इसके अलावा, मीडिया में भ्रामक जानकारी फैलाकर अफवाहें फैलाई जा रही है कि पालकों और विद्यार्थियों में असंतोष है जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है।बल्कि इससे विद्यालय की छवि को नुकसान पहुंच रहा है।
उन्होंने अनधिकृत रूप से प्राचार्य पद पर कब्जा जमाया जिससे उनकी अनियमितताओं के संकेत मिलते हैं, जिन्हें जांच के दायरे में लाया जाना चाहिए। क्योंकि मूल शाला वापसी आदेश के बाद नियमतः उन्हें नवनियुक्त प्राचार्य को प्रभार सौंप देना चाहिए।
पालक और विद्यार्थी खुश, विवादों से मुक्त हुआ विद्यालय।
मीडिया में भ्रामक अफवाह फैलाया जा रहा है कि पालक और विद्यार्थी असंतुष्ट हैं जबकि मनोज पटेल के स्थानांतरण से विद्यालय के पालक और विद्यार्थी असंतुष्ट नहीं हैं, बल्कि वे खुश हैं कि विद्यालय अब विवादों से दूर हुआ है और शिक्षा व्यवस्था बेहतर हो सकेगी।
मनोज पटेल के खिलाफ गंभीर आरोप, अनुशासनहीनता, और भ्रष्टाचार के संकेतों ने तत्काल निलंबन की मांग को बलवती कर दिया है। यह कदम विद्यालय के हित में आवश्यक है ताकि प्रशासनिक तंत्र पुनः सुचारू रूप से चल सके। प्रशासन को बिना देरी के इस मामले के दोषी मनोज पटेल के खिलाफ निलंबन की सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। अपने उच्चाधिकारियों के खिलाफ मीडियाबाजी करना कहां तक उचित है? मीडिया में आदरणीय डीईओ साहब और कलेक्टर महोदय के आदेश की अवहेलना करना एक योग्य, कर्मठ और अनुशासन प्रिय कर्मचारी को शोभा नहीं देता।
यदि मनोज पटेल योग्यता की बात करते हैं तो अपनी योग्यता,श मूल शाला भुथिया में क्यों नहीं दिखाते? वहां जाकर अपनी योग्यता, अनुशासन, सृजनात्मकता और भी जो कुछ टेलेंट है दिखाएं। सेजेस में ही टेलेंट दिखाने का ठेका मिला है क्या मनोज पटेल को? कहीं ऐसा तो नहीं कि उनकी सारी पोल पट्टी विद्यालय के अलमारी में दस्तावेजों में कैद है और प्रभार देते ही उनके काले कारनामों का भानुमती का पिटारा खुल जाएगा? प्रभारी प्राचार्य से फोन पर गाली-गलौज करना क्या सामान्य बात है कि उस डीईओ महोदय द्वारा नोटिस जारी किए जाने पर किसी को कोई आपत्ती हो? स्थानांतरण के बाद प्रभार सौंपना अत्यावश्यक होता है, यदि मनोज पटेल प्रभार सौंपकर मूल शाला जाते और गाली-गलौज नहीं करते तो नोटिस क्यों मिलता? “चोरी, ऊपर से सीना जोरी।” वाली कहावत को चरितार्थ करने वाले मनोज पटेल पर सख्त कार्रवाई होनी ही चाहिए। पालकों और विद्यार्थियों का असंतोष न बढ़े इसे ध्यान में रखकर तत्काल सख्त कार्रवाई की मांग उठ रही है।
