
चंबल नदी से नगर घाट से अवैध रेट खनन किया जा रहा है जो की जेसीबी और लोडर से रेत का खनन किया जा रहा है सैकड़ो ट्रैक्टर चल रहे हैं लेकिन फिर भी प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है सबसे बड़ा दुर्भाग्य की बात वन विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है वन विभाग के अधिकारियों की कहानी मिली भगत से और रेत माफिया की आपसी सहमति से कहीं ना कहीं चंबल नदी का रहता अवैध खनन किया जा रहा है इसलिए तो कार्रवाई नहीं होती है और रेत माफिया दिनदहाड़े रेट का अवैध खनन कर रहे हैंहुए लेकिन फिर भी चंबल के रेट के ट्रैक्टर चल रहे हैं इस पर पुलिस प्रशासन और वन विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है कहीं ना कहीं पुलिस प्रशासन और वन विभाग की मिलीगत और रेट अवैध खनन माफिया की मिली भगत से खनन किया जा रहा है जिससे सरकार को हर साल करोड़ों रुपए का राजस्व का नुकसान होता है जबकि चंबल नदी पर सुप्रीम कोर्ट से यह सख्त आदेश है की कोई भी रेत का खनन नहीं कर सकता है क्योंकि चंबल नदी घड़ियालों के लिए उनके पूर्ण जीवित उत्थान के लिए रेट पर रोक लगी हुई लेकिन फिर भी रेत माफिया दिनदहाड़े जेसीबी और रोडरों से रेत का खनन कर रहे हैं सैकड़ो ट्रैक्टरों से सरे आम जीत की चोरी की जा रही है प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है खनन एक गंभीर समस्या बन गया है। हालिया घटनाओं की एक संक्षिप्त समीक्षा नीचे प्रस्तुत है:
🌊 क्या स्थिति बनी हुई है?
पर्यावरणीय और जैव विविधता पर संकट
अवैध खनन से नदी के तल, प्रवाह और तट संरचना में गहरा बदलाव आ रहा है, जिससे सिर्फ पानी की गुणवत्ता ही नहीं बल्कि डॉल्फ़िन, घड़ियाल और गैंगेटिक कछुओं आदि संकट में हैं ।
माफिया की संगठित ताकत
रेत माफिया शक्तिशाली राजनीतिक एवं प्रशासनिक संरक्षण के साथ काम कर रहे हैं। नगरा और उनके आस पाश के घाट से चंबल रेत का प्रतिदिन 100 से 150ट्रैक्टर‑ट्रॉली रेत निकाल रहे हैं, और कारोबार का अनुमान ₹5,000 करोड़ प्रति वर्ष तक लगाया गया है ।
कानूनी प्रतिबंध और न्यासों के निर्देश
सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी ने वर्षों से चंबल अभयारण्य क्षेत्र में खनन रोकने के आदेश दिए हैं , लेकिन इनपर आम तौर पर अमल नहीं हो पा रहा।
बोकावत याद आ गई है वन विभाग के अधिकारी दलदाल और रेत माफिया पात पात
निष्कर्ष:
नदी की धारा खिसक रही है, तल में गड़बड़ी हो रही है, और तट क्षेत्रों में कटाव बढ़ रहा है। इससे डॉल्फ़िन, घड़ियाल, गैंगेटिक कछुए सहित इकोसिस्टम को गहरा नुकसान हो रहा है।
कानून की विफलता: अदालतों और एनजीटी के निर्देशों के बावजूद अधिनियमों का अनुपालन कमजोर है।राजनैतिक संरक्षण: खनन माफिया को प्रशासनिक संरक्षक मिल रहे हैं, जिससे उन्हें खुली छूट मिल रही है।
नियमित दबाव व कार्रवाई: वन विभाग, पुलिस और अभयारण्य विभाग समय-समय पर छापामारी करते हैं और वाहनों को जब्त करते हैं, लेकिन यह एक सतत प्रणालीगत लापरवाही के खिलाफ कोई ठोस समाधान नहीं है।
[7/13, 3:45 PM] राधे राधे: जब अंबाहै वन विभाग रेंजर से बात की गई वीर सिंह जी से तो उन्होंने बोला कि मैं ग्वालियर हूं और मैं दिखवाता हूं अगर ऐसा कहीं होता है तो हम कार्रवाई करते हैं
वीर सिंह ट्रिकी
रेंजर अंबाह