A2Z सभी खबर सभी जिले कीLok Sabha Chunav 2024Uncategorizedअन्य खबरे

ममता बनर्जी ने नहीं छिटकने दिया वोट, चल गया ‘महिला कार्ड’ 

सर्मिष्ठा नाग-कोलकाता                                                                                                                                  बंगाल की बेटी                                                                                                गालिब ने बंगाल के बारे में कहा है कि बंगाल के लोग सौ साल पीछे भी जाते हैं और सौ साल आगे भी। 2024 के लोकसभा चुनाव के चुनाव परिणाम देखकर ऐसा ही कुछ कहा जा सकता है।

पिछली बार के चुनाव परिणामों में बीजेपी ने 18 सीटें जीतकर सबको चौंका दिया था, हालांकि, टीएमसी को उस वक्त 22 सीटों पर जीत मिली थी। इस बार चुनाव जिस तरह ध्रुवीकरण की पिच पर लड़ा गया, उसमें दोनों दलों ने इंडिया गठबंधन के तहत लेफ्ट और कांग्रेस को मुकाबले से हटाकर दो तरफा कर दिया था। ऐसे में सभी एग्जिट पोल को गलत साबित करके ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने राज्य की 42 सीटों में 29 सीटों पर जीत हासिल कर ली है। बीजेपी सिर्फ 12 सीटें ही जीत पाई। वहीं कांग्रेस के हाथ एक सीट आई है, जबकि लेफ्ट को एक भी सीट हासिल नहीं हुई है।

तृणमूल की जीत में महिला केंद्रित मुद्दों (महिला फैक्टर ) ने चुनाव में बड़ा रोल निभाया। इस जीत के पीछे महिलाओं के वोट को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, पश्चिम बंगाल उन राज्यों में से है, जहां पुरुष प्रवासी सबसे बड़ी संख्य़ा हैं। ऐसे में बड़ी तादाद में महिलाएं और बुजुर्ग गावों में पीछे रह जाते हैं, इसीलिए ये राज्य का बड़ा वोट बैंक है।

यही वजह है कि पश्चिम बंगाल उन राज्यों में से एक है जहां महिला वोटरों की संख्या पुरुष वोटरों से कहीं ज्यादा है। राज्य में तीन साल पहले हुए विधानसभा चुनाव में टीएमसी ने ये बात समझी थी और इसलिए उसने प्रचार के दौरान महिलाओं के मुद्दों के इर्द गिर्द ही रखा, नारे में खुद को बंगाल की बेटी कहा था।

अपनी सरकार बनने के बाद ममता ने लक्ष्मी भंडार योजना और कन्याश्री जैसी स्कीम की शुरुआत की, जिसके तहत महिलाओं को हर महीने एक हजार रुपये मिलते हैं, तो एससी-एसटी वर्ग की महिलाओं को 1200 रुपये मिलते हैं। 2024 के परिणाम देखकर लगता है कि ममता ने अपने इस वोट बैंक को दूर छिटकने नहीं दिया। इस वोट बैंक के लिए बीजेपी के संकल्प पत्र में महिलाओं को ध्यान में रखकर ऐलान भी किए गए, तो पार्टी ने संदेशखाली को मुद्दा बनाया, जो काम ना आया।

चुनाव में ध्रुवीकरण भी एक बड़ा फैक्टर इसलिए बना क्योंकि राज्य में मुस्लिम वोटर की संख्या 30 % है और 125 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां मुस्लिम आबादी 20 % या उससे ज्यादा है। बीजेपी ने अपने चुनाव प्रचार में पोलराइजेशन को तीखा किया जो दीदी के फायदे में ही गया।

AKHAND BHARAT NEWS

AKHAND BHARAT NEWS
Back to top button
error: Content is protected !!