
मांडू की दुर्लभ जड़ी बूटियां का संग्रहण होगा, एक्सपर्ट जड़ी बूटी शोधकर्ता ग्रामीणों से वन विभाग संपर्क करने में जूटा
पर्यावरण संरक्षण में प्रत्येक नागरिक का योगदान जरूरी : पीसी नंदन दुबे
रिपोर्ट पवन सावले
मांडू न्यूज-: मांडू में आज शुक्रवार वन विभाग के रिटायर्ड पीसीएफ और अध्यक्ष मिनिस्ट्री ऑफ पर्यावरण एवं जलवायु के अध्यक्ष पीसी नंदन दुबे आज मांडू पहुंचे, मांडू की दुर्लभ जड़ी बूटियो से रूबरू हुए। उनके साथ डॉ सुशील उपाध्याय वन विभाग के डीएफओ अशोक कुमार सोलंकी की उपस्थिति में, आज मांडू वन परिक्षेत्र के जाने-माने पांच जड़ी बूटी एक्सपर्ट आदिवासी क्षेत्र के ग्रामीणों को मांडू बुलाया गया था, और उनके साथ इन दुर्लभ जड़ी बूटियो की महत्वता के बारे में रूबरू कार्यक्रम रखा गया था। मांडू में ऐसी कई जड़ी बूटियां हैं, जिससे कई बीमारियां ठीक होती हैं, आज भी वन विभाग में जड़ी बूटीयो के एक्सपर्ट तक पहुंचने की पहल शुरू कर चुका है।
पर्यावरण संरक्षण में प्रत्येक नागरिक को अपना योगदान देना चाहिए। विशेष रूप से मीडिया अध्ययन के विद्यार्थीगण पर्यावरण संरक्षण तथा पर्यावरणीय मामलो पर जागरूकता के लिए सक्रिय भूमिका निभा सकते है। यह उद्गार अध्यक्ष मिनिस्ट्री ऑफ़ पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन के अध्यक्ष पीसी नंदन दुबे ने आज मांडू वन विभाग पहुंचकर व्यक्त किये।
उन्होंने बताया कि जनमानस को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना जरूरी है क्योंकि यदि पर्यावरणीय क्षरण जारी रहा तो पृथ्वी आ अस्तित्व खतरे में होगा। उन्होंने मांडू और आसपास के जाने-माने जड़ी बूटी के एक्सपर्ट ग्रामीण को मीडिया के माध्यम से भी पर्यावरण जागरूक समाज बनाने का आह्वान किया। इस अवसर पर उन्होंने पर्यावरण के संरक्षण एवं मांडू में 40 प्रकार की दुर्लभ जड़ी बूटियो को सहेजने के टिप्स दिए और उनके बारे में इन ग्रामीणों से जानकारी ली। और उन्हें पुरस्कृत किया।
● में जड़ी बूटियां के पांच एक्सपर्ट को बुलाया गया था
राम महाराज मकवाना महादेवपुर लावणी, नंदराम भाई हीरापुर, मगन वास्केल तितीपुरा, उमराव भाई सागर, रमेश तारापुर, ऐसे यह पांच ग्रामीण जो मांडू की दुर्लभ जड़ी बूटियो के बारे में अच्छा खासा अनुभव रखते हैं और उन्होंने अपने अनुभव वन विभाग की टीम के सामने साझा किये, और उनके बारे में विस्तृत जानकारी दी।
● पूरे प्रदेश के जंगलों में जड़ी बूटियो की संख्या पर एक नजर
पूरे मध्य प्रदेश में 2300 वनस्पति प्रजातियां हैं, जिसमें 216 वृक्ष प्रजातियां हैं, जिसमें 40 वृक्ष दुर्लभ प्रजाति के अब संकट में आ गए हैं। इन्हें सहजने की जरूरत है।
● मांडू में यह 14 प्रकार की जड़ी बूटियां गंभीर बीमारियों में आज भी रामबाण साबित होती हैं।
झिरनिया, खुटिया, जंगली केला, शीशम, गोरखमुंडी, अर्जुन की छाल, जमीन कोला, कोलावटिया, वादा, पीपल बढ़ के बीज, कल कूड़ा, केपड़े, राग, जैसी कई दुर्लभ प्रजाति की जड़ी बूटियां आज भी मांडू के जंगलों में मिलती है और इन्हें यह ग्रामीण दवा के उपयोग में लेते हैं।