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क्या जांच सिर्फ काग़जों पर होगी? क्या मौके पर जाना अब ‘जरूरी’ नहीं रहा?

डबवाली से रिपोर्ट–
सिरसा से आई एक बेहद अहम जांच — जिसमें डबवाली के 24 संदिग्ध प्रॉपर्टी आईडी को लेकर आदेश था कि मौके पर जाकर निरीक्षण करें, लोकेशन-फोटो रिपोर्ट बनाएं, अधिकृत या अनाधिकृत स्थिति स्पष्ट करें, और पिछले 3 सालों के बदलाव की पड़ताल करें।
लेकिन हकीकत?
जांच टीम ऑफिस में बैठी रही… बाहर कोई नहीं गया!
15 जुलाई 2025 — दोपहर 12 बजे से लेकर शाम 3:30 तक, तहसील कार्यालय में जांच अधिकारी डीआरओ संजय, नगर परिषद के ईओ, और नायब तहसीलदार रवि कुमार मौजूद रहे।
मगर तीनों ने मौके पर जाकर एक भी प्रॉपर्टी नहीं देखी! जांच के दौरान रजिस्ट्री से जुड़े कंप्यूटर ऑपरेटर से ईओ ने खूब सवाल किए। बातों से लग रहा था कि पूरा दोष नीचे के बाबुओं पर डालने की तैयारी है।
लेकिन 24 प्रॉपर्टी की एनडीसी किसके हस्ताक्षर से पास हुईं?
क्या अधिकारी सिर्फ ‘नोटिंग’ देखकर साइन कर देते हैं?

जरा विडंबना देखिए —
नगर परिषद कर्मचारी सरवन को तो एक गलत एनडीसी में सस्पेंड कर दिया गया।
लेकिन अब बात 24 गलत एनडीसी की है —  फिर भी न कोई निलंबन, न कोई फौरी कार्रवाई। क्या जांच भी चेहरों और पद देखकर की जा रही है? जिन अधिकारियों के कार्यकाल में ये एनडीसी बनीं, उन्हीं की मौजूदगी में जांच —
ये पारदर्शिता है या प्रायोजित नाटक?

जनता सवाल पूछेगी —
👉 डबवाली में अनाधिकृत क्षेत्र में धड़ल्ले से रजिस्ट्री कैसे हो रही है?
👉 नगर परिषद और तहसील कार्यालय में ये खेल कब से चल रहा है?
👉 क्या आम जनता के लिए नियम अलग हैं और अफसरों के लिए कोई नियम नहीं?

अब देखना ये है कि जांच को मोड़ दिया जाएगा, या दोषियों को सजा भी मिलेगी?

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