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आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ : लोकतंत्र की रक्षा में समर्पित राष्ट्रसेवको का सम्मान

रिपोर्टर:दिलीप कुमरावत Mob.Nob.9179977597

“आपातकाल – सत्ता की सनक, जनता की सजा”

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  मनावर। (जिला धार) 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी का लोकसभा निर्वाचन इलाहबाद उच्च न्यायालय द्वारा निरस्त करते हुए उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी थी। क्रूरतापूर्वक आचरण करते हुए तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने संविधान की हत्या कर देश में आपातकाल लगा दिया था। जिसके अंतर्गत संपूर्ण विपक्ष को बिना किसी कारण जेल में बंद कर दिया गया। लोकतांत्रिक रूप से आपातकाल का विरोध करने वाले बुद्धिजीवी, छात्रों, पत्रकारों और आम जनता को जेल में अकारण बंद कर दिया गया था।


आपातकाल की विभीषिका के काले अध्याय के 50वें वर्ष में भारत के महान लोकतंत्र के संरक्षण व संविधान की रक्षा के संकल्प के साथ भारतीय जनता पार्टी जिला धार ग्रामीण द्वारा आपातकाल की विभीषिका पर “संगोष्ठी” का आयोजन एकलव्य परिसर कृषि उपज मंडी के पीछे गंधवानी में किया गया है।

कार्यक्रम में माननीय सांसद सुधीर गुप्ता, भारतीय जनता पार्टी के जन प्रतिनिधियों के साथ मिसाबंदी एवं आपातकाल के समय राष्ट्रसेवा करने वाले समर्पित कार्यकर्ताओं व उनके परिजनों को शाल–श्रीफल एवं प्रशस्ति पत्र भेंटकर सम्मानित किया गया।

25 जून 1975 वह दिन था जब तत्कालीन सरकार ने लोकतंत्र की हत्या करते हुए देश में आपातकाल घोषित किया था। यह दिन भारतीय इतिहास में सबसे काले दिन के रूप में याद किया जाता है।

कार्यक्रम में मुख्य वक्ता मंदसौर सांसद सुधीर गुप्ता, पूर्व सांसद छतरसिंह दरबार, पूर्व कैबिनेट मंत्री रंजना बघेल, जिला पंचायत अध्यक्ष सरदार मेड़ा, पूर्व जिला अध्यक्ष ओम सोनी, पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष रमेश धाडीवाल, विनोद शर्मा, धार जिला ग्रामीण जिलाध्यक्ष चंचल पाटीदार, सहित जिले के समस्त मंडल अध्यक्ष, पदाधिकारी, जनप्रतिनिधि एवं भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

सभी राष्ट्रसेवकों को ससम्मान नमन किया गया। जिन्होंने कठिन समय में लोकतंत्र की लौ को जलाए रखा।

इस अवसर पर आपातकाल स्मृति प्रदर्शनी लगाई गई तथा आपातकाल की विभीषिका पर आधारित फिल्म का प्रदर्शन भी किया गया, जिसमें उस काले दौर की भयावहता को दर्शाया गया। प्रदर्शनी में वे महत्वपूर्ण सरकारी दस्तावेज पहली बार जनता के सामने प्रस्तुत किए गए, जिन्हें अब तक कभी सार्वजनिक नहीं किया गया था। प्रदर्शनी का अवलोकन कर लोगों ने कहा कि यह प्रदर्शनी हमें स्मरण कराती है कि लोकतंत्र की रक्षा हेतु हमें हमेशा सजग रहना होगा।

कार्यक्रम में संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा का संकल्प लिया गया।

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