
सुनाबेड़ा/ओडिशा: पुरी की तरह सुनाबेड़ा में भी इस वर्ष भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के नबयौवन दर्शन को लेकर भक्तों में अपार श्रद्धा और उत्साह देखा जा रहा है। स्वर्णक्षेत्र जगन्नाथ सेवा संस्था के तत्वावधान में भव्य नबयौवन दर्शन और आगामी रथ यात्रा की तैयारियाँ पूरे जोरों पर हैं।
क्या है नबयौवन दर्शन?
पुरी की परंपरा के अनुसार, स्नान पूर्णिमा के दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा जी का महा स्नान होता है, जिसके बाद उन्हें 14 दिनों तक ‘अनासार’ गृह में विश्राम कराया जाता है। इस अवधि में यह माना जाता है कि भगवान अस्वस्थ होते हैं और उन्हें पारंपरिक आयुर्वेदिक चिकित्सा दी जाती है।
अनासार के समापन के बाद भगवान जब पुनः अपने नवयुवक स्वरूप में भक्तों के समक्ष प्रकट होते हैं, तो उस मंगल अवसर को ‘नबयौवन दर्शन’ कहा जाता है। यह दिन ‘नेत्र उत्सव’ के रूप में भी मनाया जाता है।
सुनाबेड़ा में विशेष आयोजन
सुनाबेड़ा में इस पावन अवसर पर भव्य श्रृंगार, कीर्तन, भजन संध्या और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। स्थानीय कलाकार और भक्त मंडल श्रद्धा और उल्लास के साथ भगवान की आराधना में लगे हैं। मंदिर समिति के सदस्य परंपरागत रंगों और जड़ी-बूटियों जैसे हिंगुला, हरिताल, केसर, कस्तूरी आदि से भगवान का श्रृंगार कर रहे हैं।
रथ यात्रा की तैयारी पूरी
नबयौवन दर्शन के बाद भगवान जगन्नाथ की विश्वप्रसिद्ध रथ यात्रा के लिए भी तैयारियाँ अंतिम चरण में हैं। 27 जून को सुनाबेड़ा से सिमलीगुड़ा तक लगभग 10 किलोमीटर लंबी यात्रा निकाली जाएगी। इस पावन यात्रा में हजारों श्रद्धालु भाग लेंगे। यात्रा के दौरान भव्य कीर्तन, नृत्य और संकीर्तन की प्रस्तुति होगी।
यह अवसर न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि स्थानीय संस्कृति, आस्था और परंपरा को भी जीवंत करता है। सुनाबेड़ा अब पूरी तरह तैयार है अपने भगवान के इस दिव्य रूप के साक्षात्कार और रथ यात्रा के उत्सव को ऐतिहासिक बनाने के लिए।