
नई दिल्ली:-केरल के कोच्चि तट के पास रविवार को एक बड़ा हादसा हो गया, जिसमें एक मालवाहक जहाज केरल के कोच्चि तट के पास डूब गया, लेकिन नौसेना की बहादुरी से जहाज में सवार 24 लोगों की जान बच पाई. दरअसल, अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) का एमएससी एल्सा नाम का एक मालवाहक जहाज कोच्चि तट के पास से गुजर रहा था, तभी उसका बैलेंस बिगड़ गया और जहाज में पानी भरनें लगा, देखते ही देखते जहाज समंदर में समा गया.
राहत की बात यह रही कि जहाज में सवार कोई हताहत नहीं हुआ क्योंकि भारतीय तटरक्षक बलों और भारतीय नौसेना ने समय रहते उन्हें रेस्क्यू कर लिया. यह घटना सुबह करीब 7:50 बजे हुई, जिसकी पुष्टि भारतीय तटरक्षक बलों ने की है.तटरक्षक बल ने रविवार को एक बयान में कहा, ‘‘25 मई की सुबह, एमएससी ईएलएसए 3 तेजी से झुका और पलटकर डूब गया।’’
नौसेना ने पेश की बहादुरी की मिसाल
घटना की सूचना मिलते ही भारतीय तटरक्षक बलों ने नौसेना की मदद से बचाव अभियान चलाया. बचाव दल ने बेहद कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए चालक दल सहित सभी को सुरक्षित जगह पर पहुंचाया. बचाए गए कुल 24 लोगों में से 21 को भारतीय तटरक्षक बल ने अपनी नावों और हेलीकॉप्टरों की मदद से बाहर निकाला, जबकि 3 अन्य लोगों को भारतीय नौसेना के जहाज आईएनएस सुजाता ने सुरक्षित निकाला.
भारतीय तटरक्षक बल ने राहत एवं बचाव अभियान का समन्वयन किया और संकटग्रस्त पोत के पास अपने जहाजों तथा विमान को तैनात रखा। जहाज के 24 सदस्यीय चालक दल में एक रूसी (कप्तान), 20 फिलीपीनी, दो यूक्रेनी और एक जॉर्जियाई नागरिक शामिल हैं।.यह बचाव अभियान भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल के बीच बेहतरीन कोआर्डिनेशन और उनकी ट्रेनिंग को भी दिखाता है. अगर नौसेना का बचाव दल समय पर न पहुंचता, तो यह घटना एक बड़ी त्रासदी में बदल सकती थी.
तेल और रासायनिक रिसाव का खतरा…
हालांकि जहाज में सवार सभी लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया है, लेकिन भारतीय तटरक्षक बलों का ध्यान संभावित पर्यावरणीय खतरे पर अटका हुआ है. एमएससी एल्सा 3 एक मालवाहक जहाज था. ऐसे जहाज ईंधन, तेल और अन्य रासायनों का ट्रांसपोर्ट करते हैं. डूबने के बाद इसमें रिसाव का खतरा बना हुआ है, जिससे पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा पैदा हो सकते हैं.
तटरक्षक बलों का कहना है कि वे संभावित खतरों पर बारीकी से नजर बनाए हुए हैं और किसी भी तेल या रासायनिक रिसाव की संभावना को लेकर सतर्क हैं. उन्होंने कहा कि यदि कोई रिसाव होता है, तो वे उसे कन्ट्रोल करने और उसके प्रभाव को कम करने के लिए तत्काल कदम उठाएंगे, जोकि समुद्री जीवों और तटीय समुदायों के लिए बेहद अहम है.
समुद्री सुरक्षा और भविष्य की चिंताएं
इस घटना ने समुद्री जहाजों की सुरक्षा को लेकर एक बार फिर अहम सवाल खड़े कर दिए हैं. हालांकि इस दुर्घटना में सभी को रेस्क्यू कर लिया गया है, लेकिन जिस तरह जहाज डूबा, इससे बड़ी त्रासदी हो सकती थी. समुद्री प्राधिकरण इस घटना के कारणों की जांच करेंगी ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके.

बयान में कहा गया जहाज पर रखे 640 कंटेनरों में से 13 में रासायनिक रूप से संवेदनशील सामग्री थी, जबकि 12 कंटेनर कैल्शियम कार्बाइड से भरे हुए थे। आईसीजी ने कहा, ‘‘जहाज के टैंकों में 84.44 मीट्रिक टन डीजल और 367.1 मीट्रिक टन फर्नेस ऑयल था।’’

यह ध्यान में रखते हुए कि केरल का संवेदनशील तट क्षेत्र जीवंत जैव विविधता का आश्रय स्थल होने के साथ-साथ एक प्रमुख पर्यटन आकर्षण भी है, तटरक्षक बल ने सभी संभावित स्थितियों से निपटने के लिए प्रदूषण नियंत्रण की तैयारियों को तेज कर दिया है और राज्य प्रशासन के साथ समन्वय स्थापित किया है। घटना को देखते हुए केरल राज्य आपदा प्रबंधन विभाग (SDMA) ने अलर्ट जारी कर दिया है। विभाग ने लोगों से कहा है कि वह समुद्र के तट की ओर से आने वाली चीजों से दूर रहें।

होल्ड में पानी भर जाने की वजह से हुई घटना
Indian Coast Guard (ICG) ने बताया कि जहाज के एक होल्ड में पानी भर जाने की वजह से यह डूब गया। इसके बाद बचाव अभियान चलाकर सभी को बचा लिया गया। इस जहाज पर कुल 640 कंटेनर थे जिनमें से 12 कंटेनर्स में कैल्शियम कार्बाइड रखा हुआ था। इसके अलावा जहाज पर 84.44 मीट्रिक टन डीजल और 367.1 मीट्रिक टन फर्नेस ऑयल भी था।
ICG की ओर से कहा गया है कि तेल फैलने की वजह से प्रदूषण का खतरा है लेकिन इसे देखते हुए जरूरी इंतजाम किए जा रहे हैं।
The Indian National Centre for Ocean Information Services (INCOIS) का कहना है कि फैला हुआ तेल 36-48 घंटों के भीतर अलपुझा, अंबालापुझा, अरट्टुपुझा और करुनागप्पल्ली के तटीय इलाकों तक पहुंच सकता है।
SDMA ने कहा है कि हालात की समीक्षा के लिए बैठक बुलाई गई है और लोगों से उन चीजों से दूर रहने के लिए कहा गया है जिन्हें लेकर ऐसा शक हो कि वह इस डूबे हुए जहाज से निकली हैं और बहकर किनारे पर आ गई हैं। SDMA ने कहा है कि लोगों को ऐसी चीजों से कम से कम 200 मीटर दूर रहना चाहिए। INCOIS ने कहा है कि वह हालत पर नजर रख रहा है और सभी संबंधित अधिकारियों के साथ संपर्क में है।