
लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर न्याय की प्रतिमूर्ति थी : गुलाबचंद पाल
अहिल्याबाई पाल समाज की गौरव हैं:डा० एस० एन० सिंह पाल नागौद
स्वर्णिम काल था अहिल्याबई का शासन : एड० के० पी० पाल
सतना : पाल समाज की ब्लाक इकाई नागौद ने अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती बड़े हर्षोंल्लास के साथ मनाई । कार्यक्रम के मुख्यअतिथि जनपद पंचायत उंचेहरा के उपाध्यक्ष गुलाबचन्द पाल रहे जबकि अध्यक्षता डा०एस एन सिंह पाल ने की। नगर में लोकमाता अहिल्याबाई की शोभायात्रा निकाली ग्ई।
जयंती समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि गुलाबचन्द पाल ने कहा कि लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर न्याय की प्रतिमूर्ति थी । वे साधारण से किसान के घर पैदा हुई एक महिला थी, जिन्होंने सदैव अपने राज्य और वहां के लोगों के हित में ही कार्य किया। उनके कार्य की प्रणाली बहुत ही सुगम एवं सरल है अर्थात इन्होंने अपने राज्य के लोगों के साथ बड़े ही प्रेम पूर्वक एवं दया के साथ व्यवहार किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डा० एस०एन० सिंह पाल ने कहा कि अहिल्याबाई पाल समाज की गौरव थी । माता अहिल्याबाई होलकर कई युद्धों में अपनी सेना का नेतृत्व किया और हाथी पर सवार होकर वीरता के साथ लड़ीं। वे मालवा प्रांत की महारानी थी। अहिल्याबाई होल्कर ने समाज की सेवा के लिए अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया। अहिल्याबाई होलकर से सीखकर हमें आगे आना होगा।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि एड० केपी पाल ने कहा कि महारानी अहिल्याबाई को एक दार्शनिक रानी के रूप में भी जाना जाता है। अहिल्याबाई एक महान् और धर्मपारायण स्त्री थी। हमारे समाज में ऐसे कई महापुरूष जन्मे हैं जो इस देश के शासक रहें। और अहिल्याबाई होलकर का शासनकाल स्वर्णिम था। उनमें से होलकर वंश की महारानी अहिल्याबाई होलकर का शासन काल प्रमुख है।
इस मौके पर विशिष्ट अतिथि के तौर पर पाल समाज के जिलाध्यक्ष रामविशाल पाल,बृजलाल पाल, एड० के० पी० पाल, सरपंच राजू पाल, जनपद सदस्य रामसेवक पाल, दुलीचन्द पाल ने कार्यक्रम को संबोधित किए।
जिलाध्यक्ष रामविश्वास पाल ने कहा किअहिल्याबाई भारतीय संस्कृति की मूर्तिमान प्रतीक थीं। कितने आपत्ति के प्रसंग तथा कसौटियों के प्रसंग उस तेजस्विनी पर आए, लेकिन उन सबका बड़े धैर्य से मुकाबला कर धर्म संभालते हुए उन्होंने राज्य का संसार सुरक्षित रखा, यह उनकी विशेषता थी। उन्होंने भारतीय संस्कृति की परम्पराएं सबके सामने रखीं। भारतीय संस्कृति जब तक जाग्रत है, तब तक अहिल्याबाई के चरित्र से ही हमें प्रेरणा मिलती रहेगी
नगर पालिक निगम सतना के पूर्व पार्षद व आम आदमी पाटी के जिला उपाध्यक्ष महिन्द वर्धन सिद्धार्थ पप्पू ने कहा कि उनके पवित्र चरित्र और विराट प्रेम ने उन्हें लोकजीवन में लोकमाता का वह उच्चासन दिया, जो संसार में बड़े सम्राटों-साम्राज्ञियों को भी नसीब नहीं रहा’। उन्होंने कहा कि वह समय था जब हमारे पूर्वज इस देश के चक्रवर्ती सम्राट व शासक हुआ करते थे। महिलाएं राज्यों की शासिका हुआ करती थीं लेकिन आज शासक वंश के हमारे पुरुष-महिलाएं किस पंक्ति में हैं , यह सोचनीय व विचाणीय है। हमें अपने महापुरुषों का संघर्ष गाथा पढ़ना व जानना होगा।
जनपद सदस्य रामसेवक पाल ने कहा कि लोकमाता अहिल्या बाई होलकर की श्रेष्ठता इन्दौर की शासिका होने में नहीं है, क्योंकि उनका त्याग इतना अनुपम, उनका साहस इतना असीम, उनकी प्रतिभा इतनी उत्कृट, उनका संयम इतना कठिन और उनकी उदारता इतनी विशाल थी कि उनका नाम इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा जा चुका है
जयंती समारोह में भारी संख्या में पाल समाज के महिलाएं,पुरूष व समाजसेवी मौजूद थे जिसमें मुख्य रूप से पुरुषोत्तम पाल, रामआसरे पाल, ग्यासी पाल, अनुराग पाल, राम मोहित पाल, अनिल पाल, कमलेश,पाल,पंकज कुमारपाल,तरूण कुमार पाल,रावेंद्र ,राजेश, देशराज, सूरज पाल, बलीराम, पप्पू पाल, प्रकाश,सुखमंता,राकेश,रामावतार, रवि,हरिराम ,दिनेश, अरूण, मनीष, रज्जन, राजेंद्र, रोहिणी,किशोरी, राजललन, शिवचरण,सुनीता, प्रिंसिपल ऋषि पाल राजेश पाल लालू पाल सुनील पाल राजेंद्र पाल कमलेश पाल अरूण, झल्लू आदि शामिल हैं।