
बिलारी के ग्राम सिहारी लद्दा में चल रही श्री प्रज्ञा पुराण कथा के आज द्वितीय दिवस शांतिकुंज हरिद्वार से आई कथावाचक कुंवारी अनुष्का प्रभाकर तथा कुमारी विमला प्रभाकर ने कथा में गृहस्थी जीवन तथा परिवार निर्माण का प्रसंग सुनाया उन्होंने कहा कि गृहस्थ आश्रम सबसे बड़ा आश्रम है जिसमें संयम सेवा और सहिष्णुता की साधना करनी पड़ती है ब्रह्मचर्य बाणप्रस्थ व सन्यास ग्रहस्तश्रम पर ही निर्भर है भारत की परिवार व्यवस्था महान है जिसमें माता-पिता बुजुर्गों को भगवान माना गया जाता है शर्म की बात है कि आज लोग अपने बुजुर्गों को वृद्ध आश्रम छोड़ रहे हैं पति-पत्नी एक पक्षी के दो पंखों की तरह है नर के पास दृष्टि है तो नारी के पास दिव्या
दृष्टि है माता-पिता के चरणों में स्वर्ग है पहले संयुक्त परिवार में दादा दादी नाना नानी की गोद में खेल कर महापुरुष बन जाते थे प्रज्ञा प्राण कथा में मुख्य रूप से कथा व्यास पंडित उमा चरण राम सिंह बाणप्रस्ती सुरेश आचार्य विजय सिंह यादव अतर सिंह यादव गुड्डू देवी प्रीति सुखबीर सिंह यादव जयदेव मौर्य पूर्व प्रधान सतपाल यादव आदि कार्यकर्ता उपस्थित रहे