
प्रभु को मन से वरण करने पर मिलता है एैच्छिक वरदान-आचार्य कौशल जी
लालगंज, प्रतापगढ़। ढ़िगवस क्षेत्र के समीप पूरे बीरबल में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में बुधवार को श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी। कथा में कथाव्यास आचार्य कौशल महराज ने रुक्मणी विवाह का मनोहारी प्रसंग सुनाया। उन्होंने कहा कि रुक्मणी देखे बिना ही श्रीकृष्ण को चाहने लगीं थीं। जब उनका विवाह शिशुपाल से तय हुआ तो उनको बहुत दुख हुआ। रक्मणी बचपन से ही श्रीकृष्ण को अपना पति मान चुकीं थीं। रुक्मणी की मन की बात पता चली तो उनका हरण कर श्रीकृष्ण द्वारका ले आए। यहां धूमधाम से उनका रुक्मणी के साथ विवाह संपन्न हुआ। आयोजक मंडल की ओर से आकर्षक वेशभूषा में श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह की झांकी प्रस्तुत कर विवाह संस्कार की रस्मों को पूरा किया गया। ग्राम प्रधान रज्जन मिश्र ने व्यासपीठ और श्रीकृष्ण बारात की आरती उतारी। मुख्य यजमान देवीशरण श्रीवास्तव एवं अमरावती श्रीवास्तव कथाव्यास का रोली चंदन से श्रीअभिषेक किया। इस मौके पर सज्जन मिश्र, सुरेश कुमार, जीतेंद्र, कुलदीप, शीला देवी, नीरा देवी, मोतीलाल, दिलीप, विजय कुमार, सौरभ, गौरव, दयाशंकर, संतोष कुमार आदि मौजूद रहे।