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महापर्व चैती छठ : डूबते हुए सूर्य को व्रतीयों ने दिया अर्घ्य, संतान की सलामती की मांगी मन्नत, छठ घाट पर आस्था का उमड़ा जनसैलाब

भवनाथपुर से तपती धूप और गर्म मौसम के बावजूद आस्था उल्लास के बीच मना सूर्योपासना का महान पर्व चैती छठ।सोमवार की सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ ही लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व पूरा हो गया। सुबह में व्रति महिलाओं पुरुषों ने जलाशय में पर उगते सूर्य को अर्घ्य देकर मंगल कामना की।

संवाददाता अखिलेश विश्वकर्मा का रिपोर्ट गढ़वा

भवनाथपुर से

तपती धूप और गर्म मौसम के बावजूद आस्था उल्लास के बीच मना सूर्योपासना का महान पर्व चैती छठ।सोमवार की सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ ही लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व पूरा हो गया। सुबह में व्रति महिलाओं पुरुषों ने जलाशय में पर उगते सूर्य को अर्घ्य देकर मंगल कामना की।

अर्घ्य के बाद व्रतियों ने हवन करने के बाद व्रतियों ने दीप दान एवं सिंदूरदान किया और अदरक गुड़ खाकर पारण किया। इसके बाद घर में अरवा चावल का भात, कढ़ी, चने की दाल, सब्जी, बजका आदि का आहार ग्रहण किया।उधर प्रखण्ड के तमाम घाटों एवं अन्य जगह जहां छठ व्रत के अनुष्ठान चल रहे थे छठी मईया के गीत बज रहे थे।

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कई जगह महिलाएं छठ की गीत भी गा रही थीं। खासतौर से कांच ही बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाए…, केरवा जे फरे ला घवद से ओह पर सुगा मेड़राय…, कोपी कोपी बोल ले सुरूज देव सुन हो सेवक लोग…, हे दीनानाथ दर्शन दीहीं ना अपन…, पांच पुत्तर एक धियवा धियवा मंगबो जरूर आदि गीत लोक आस्था को और मजबूत बना रहे थे।

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