
यह बात गौर करनेवाली है की जब खुद अंसारी ने खाने में ज़हर देने का आरोप लगाया तो इसमें राज्य सरकार और प्रशासन द्वारा क्या कार्यवाही कीगयी जांच का विषय है और जब 25 मार्च की रात तबीयत ख़राब होने केबाद बांदा मेडीकल कॉलेज में भर्ती कराया गया और आईसीयू में रखा गया फिर इतनी जल्दबाजी क्यों ?की अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी और एकाएक पन:28 मार्च को एसी तबीयत बिगड़ी की उठ ना सके एक सामान्य बीमारी में मरीज को कयी कयी दिन भरती रखा जाता है वहीं मुख़्तार अंसारी जिनकी उम्र 60वर्ष है जेल में रहते रहते शरीर कमजोर होगया था बीमारी ने घेर लिया था फिर भी डाक्टर ने उन्हें छुट्टी दे दी ये भी माजरा समझ से परे है सत्यता जो भी हो लेकिन इस पुरे घटनाक्रम की न्यायिक जांच से ही गुत्थी सुलझ सकती है