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*सिविल अस्पताल मैहर में अव्यवस्थाओं का अम्बार, जिम्मेवार कौन,बीएमओ,सीएचएमओ,या जिला अधिकारी* मैहर सिविल अस्पताल की व्यवस्थाएं सबकुछ होते हुए भी स्वयं वेंटिलेटर पर है आखिर इसके लिए जिम्मेवार कौन है। क्या बीएमओ मैहर अस्पताल की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने में नाकारा साबित हो रहे है? क्या सीएमएचओ सतना का ढुलमुल रवैया अस्पताल की व्यवस्थाओं में पलीता लगा रही है। क्या जिला कलेक्टर की अनदेखी के कारण अस्पताल की व्यवस्थाये चारपाई पर है इन तमाम सवालों का आज इस खबर में विश्लेषण करेंगे साथ ही निदान कैसे हो इसपर भी बात करेंगे कि आखिर वजह क्या है। *लगभग 40 ठेका श्रमिक कार्यरत फिर भी व्यवस्था ध्वस्त क्यो* आपको बता दे कि अस्पताल में पूर्व में इन श्रमिको से कार्य कराने के लिए एक ठेकेदार को कार्य दिया गया था लेकिन कुछ दिन बाद अचानक से बिना किसी निविदा के एक नए ठेकेदार की एंट्री अस्पताल में कराई गई जिसका नाम पंकज मिश्रा है। अब जब नियमो को ताक में रखकर नए ठेकेदार की एंट्री हुई तो बात स्वाभाविक है कि वह मनमानी करेगा ही क्योकि उसने अवैध तरीके से एंट्री ही पाई है। आपको बता दे कि लगभग 40 श्रमिक अस्पताल की व्यवस्थाओं के लिए लगाए गए है लेकिन ये कहा कब कैसे अस्पताल में अपनी सेवाएं देते है कुछ ही लोगो को पता है। और ये बेचारे सेवाएं भी कैसे दे पाए यह भी बड़ा सवाल है। सवाल बड़ा है हम इसलिए कह रहे है क्योंकि इनकी भर्ती कलेक्टर दर पर की गई है और जो कलेक्टर दर है वह मेरी जानकारी के अनुसार लगभग 7200 से 7300 रु प्रतिमाह होना चाहिए लेकिन ठेकेदार इन श्रमिको को महज 5000 से 5500 रु ही देता है और सरेआम मिनिमम वेजेज एक्ट का उलंघन कर रहा है लेकिन इसपर नजर न तो बीएमओ की पड़ती न ही सीएमएचओ की क्योकि इन दोनों का शुभलाभ फिक्स है। नही तो ठेकेदार पंकज मिश्रा की अवैध एंट्री कैसे हुई। *इन ठेका श्रमिको का पीएफ कहा है* राज्यसरकारों के सख्त निर्देश है कि जहां भी जो भी ठेका श्रमिक ठेकेदार द्वारा रखे जाएंगे उन सभी के पीएफ की कटौती शासन के नियमानुसार की जानी चाहिए व हर श्रमिक को उसके पीएफ अकाउंट की जानकारी होनी चाहिए लेकिन पिछला ठेकेदार भी अस्पताल में दो तीन वर्ष कार्य तो किया श्रमिको के पीएफ की कटौती भी की लेकिन कहा जमा किया उनका कटा गया पैसा कैसे मिलेगा किसी को नही पता। यही हाल ठेकेदार पंकज मिश्रा का है यह वर्तमान में कार्यरत लगभग 40 श्रमिको का पीएफ काट तो रहा है लेकिन ये जमा कहा कर रहा है श्रमिको का पीएफ अकाउंट नम्बर क्या है पैसा कटकर जमा हो भी रहा है यह जानने की जरूरत कभी न तो बीएमओ को हुई न ही सीएमएचओ को मतलब साफ है जब साम्राज्य टके सेर भाजी टके सेर खाजे पर चलता है तो परिणीति अव्यवस्थाओं के रूप में तय है इसलिए जिम्मेवार या तो अपनी जेब गर्म करले या सरकार और शासन की मंशा अनुरूप काम करा लें। अब निर्णय आप करे जिम्मेवार कौन….? आज इतना ही कल बताएंगे ठेकेदार और प्रबंध का मजबूत गठजोड़ जो अव्यवस्था की मूल वजह है। साथ ही सीएमएचओ के चहेते ठेकेदार पंकज मिश्रा और उसके कर्मचारियों की अव्यवस्था का राज जिसका खामियाजा मैहर क्षेत्र की भोलीभाली जनता भुगत रही है।

*सिविल अस्पताल मैहर में अव्यवस्थाओं का अम्बार, जिम्मेवार कौन,बीएमओ,सीएचएमओ,या जिला अधिकारी* मैहर सिविल अस्पताल की व्यवस्थाएं सबकुछ होते हुए भी स्वयं वेंटिलेटर पर है आखिर इसके लिए जिम्मेवार कौन है। क्या बीएमओ मैहर अस्पताल की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने में नाकारा साबित हो रहे है? क्या सीएमएचओ सतना का ढुलमुल रवैया अस्पताल की व्यवस्थाओं में पलीता लगा रही है। क्या जिला कलेक्टर की अनदेखी के कारण अस्पताल की व्यवस्थाये चारपाई पर है इन तमाम सवालों का आज इस खबर में विश्लेषण करेंगे साथ ही निदान कैसे हो इसपर भी बात करेंगे कि आखिर वजह क्या है। *लगभग 40 ठेका श्रमिक कार्यरत फिर भी व्यवस्था ध्वस्त क्यो* आपको बता दे कि अस्पताल में पूर्व में इन श्रमिको से कार्य कराने के लिए एक ठेकेदार को कार्य दिया गया था लेकिन कुछ दिन बाद अचानक से बिना किसी निविदा के एक नए ठेकेदार की एंट्री अस्पताल में कराई गई जिसका नाम पंकज मिश्रा है। अब जब नियमो को ताक में रखकर नए ठेकेदार की एंट्री हुई तो बात स्वाभाविक है कि वह मनमानी करेगा ही क्योकि उसने अवैध तरीके से एंट्री ही पाई है। आपको बता दे कि लगभग 40 श्रमिक अस्पताल की व्यवस्थाओं के लिए लगाए गए है लेकिन ये कहा कब कैसे अस्पताल में अपनी सेवाएं देते है कुछ ही लोगो को पता है। और ये बेचारे सेवाएं भी कैसे दे पाए यह भी बड़ा सवाल है। सवाल बड़ा है हम इसलिए कह रहे है क्योंकि इनकी भर्ती कलेक्टर दर पर की गई है और जो कलेक्टर दर है वह मेरी जानकारी के अनुसार लगभग 7200 से 7300 रु प्रतिमाह होना चाहिए लेकिन ठेकेदार इन श्रमिको को महज 5000 से 5500 रु ही देता है और सरेआम मिनिमम वेजेज एक्ट का उलंघन कर रहा है लेकिन इसपर नजर न तो बीएमओ की पड़ती न ही सीएमएचओ की क्योकि इन दोनों का शुभलाभ फिक्स है। नही तो ठेकेदार पंकज मिश्रा की अवैध एंट्री कैसे हुई। *इन ठेका श्रमिको का पीएफ कहा है* राज्यसरकारों के सख्त निर्देश है कि जहां भी जो भी ठेका श्रमिक ठेकेदार द्वारा रखे जाएंगे उन सभी के पीएफ की कटौती शासन के नियमानुसार की जानी चाहिए व हर श्रमिक को उसके पीएफ अकाउंट की जानकारी होनी चाहिए लेकिन पिछला ठेकेदार भी अस्पताल में दो तीन वर्ष कार्य तो किया श्रमिको के पीएफ की कटौती भी की लेकिन कहा जमा किया उनका कटा गया पैसा कैसे मिलेगा किसी को नही पता। यही हाल ठेकेदार पंकज मिश्रा का है यह वर्तमान में कार्यरत लगभग 40 श्रमिको का पीएफ काट तो रहा है लेकिन ये जमा कहा कर रहा है श्रमिको का पीएफ अकाउंट नम्बर क्या है पैसा कटकर जमा हो भी रहा है यह जानने की जरूरत कभी न तो बीएमओ को हुई न ही सीएमएचओ को मतलब साफ है जब साम्राज्य टके सेर भाजी टके सेर खाजे पर चलता है तो परिणीति अव्यवस्थाओं के रूप में तय है इसलिए जिम्मेवार या तो अपनी जेब गर्म करले या सरकार और शासन की मंशा अनुरूप काम करा लें। अब निर्णय आप करे जिम्मेवार कौन....? आज इतना ही कल बताएंगे ठेकेदार और प्रबंध का मजबूत गठजोड़ जो अव्यवस्था की मूल वजह है। साथ ही सीएमएचओ के चहेते ठेकेदार पंकज मिश्रा और उसके कर्मचारियों की अव्यवस्था का राज जिसका खामियाजा मैहर क्षेत्र की भोलीभाली जनता भुगत रही है।

*सिविल अस्पताल मैहर में अव्यवस्थाओं का अम्बार, जिम्मेवार कौन,बीएमओ,सीएचएमओ,या जिला अधिकारी*
मैहर सिविल अस्पताल की व्यवस्थाएं सबकुछ होते हुए भी स्वयं वेंटिलेटर पर है आखिर इसके लिए जिम्मेवार कौन है। क्या बीएमओ मैहर अस्पताल की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने में नाकारा साबित हो रहे है? क्या सीएमएचओ सतना का ढुलमुल रवैया अस्पताल की व्यवस्थाओं में पलीता लगा रही है। क्या जिला कलेक्टर की अनदेखी के कारण अस्पताल की व्यवस्थाये चारपाई पर है इन तमाम सवालों का आज इस खबर में विश्लेषण करेंगे साथ ही निदान कैसे हो इसपर भी बात करेंगे कि आखिर वजह क्या है।
*लगभग 40 ठेका श्रमिक कार्यरत फिर भी व्यवस्था ध्वस्त क्यो*
आपको बता दे कि अस्पताल में पूर्व में इन श्रमिको से कार्य कराने के लिए एक ठेकेदार को कार्य दिया गया था लेकिन कुछ दिन बाद अचानक से बिना किसी निविदा के एक नए ठेकेदार की एंट्री अस्पताल में कराई गई जिसका नाम पंकज मिश्रा है। अब जब नियमो को ताक में रखकर नए ठेकेदार की एंट्री हुई तो बात स्वाभाविक है कि वह मनमानी करेगा ही क्योकि उसने अवैध तरीके से एंट्री ही पाई है। आपको बता दे कि लगभग 40 श्रमिक अस्पताल की व्यवस्थाओं के लिए लगाए गए है लेकिन ये कहा कब कैसे अस्पताल में अपनी सेवाएं देते है कुछ ही लोगो को पता है। और ये बेचारे सेवाएं भी कैसे दे पाए यह भी बड़ा सवाल है। सवाल बड़ा है हम इसलिए कह रहे है क्योंकि इनकी भर्ती कलेक्टर दर पर की गई है और जो कलेक्टर दर है वह मेरी जानकारी के अनुसार लगभग 7200 से 7300 रु प्रतिमाह होना चाहिए लेकिन ठेकेदार इन श्रमिको को महज 5000 से 5500 रु ही देता है और सरेआम मिनिमम वेजेज एक्ट का उलंघन कर रहा है लेकिन इसपर नजर न तो बीएमओ की पड़ती न ही सीएमएचओ की क्योकि इन दोनों का शुभलाभ फिक्स है। नही तो ठेकेदार पंकज मिश्रा की अवैध एंट्री कैसे हुई।
*इन ठेका श्रमिको का पीएफ कहा है*
राज्यसरकारों के सख्त निर्देश है कि जहां भी जो भी ठेका श्रमिक ठेकेदार द्वारा रखे जाएंगे उन सभी के पीएफ की कटौती शासन के नियमानुसार की जानी चाहिए व हर श्रमिक को उसके पीएफ अकाउंट की जानकारी होनी चाहिए लेकिन पिछला ठेकेदार भी अस्पताल में दो तीन वर्ष कार्य तो किया श्रमिको के पीएफ की कटौती भी की लेकिन कहा जमा किया उनका कटा गया पैसा कैसे मिलेगा किसी को नही पता। यही हाल ठेकेदार पंकज मिश्रा का है यह वर्तमान में कार्यरत लगभग 40 श्रमिको का पीएफ काट तो रहा है लेकिन ये जमा कहा कर रहा है श्रमिको का पीएफ अकाउंट नम्बर क्या है पैसा कटकर जमा हो भी रहा है यह जानने की जरूरत कभी न तो बीएमओ को हुई न ही सीएमएचओ को मतलब साफ है जब साम्राज्य टके सेर भाजी टके सेर खाजे पर चलता है तो परिणीति अव्यवस्थाओं के रूप में तय है इसलिए जिम्मेवार या तो अपनी जेब गर्म करले या सरकार और शासन की मंशा अनुरूप काम करा लें। अब निर्णय आप करे जिम्मेवार कौन….?
आज इतना ही कल बताएंगे ठेकेदार और प्रबंध का मजबूत गठजोड़ जो अव्यवस्था की मूल वजह है। साथ ही सीएमएचओ के चहेते ठेकेदार पंकज मिश्रा और उसके कर्मचारियों की अव्यवस्था का राज जिसका खामियाजा मैहर क्षेत्र की भोलीभाली जनता भुगत रही है।*सिविल अस्पताल मैहर में अव्यवस्थाओं का अम्बार, जिम्मेवार कौन,बीएमओ,सीएचएमओ,या जिला अधिकारी*
मैहर सिविल अस्पताल की व्यवस्थाएं सबकुछ होते हुए भी स्वयं वेंटिलेटर पर है आखिर इसके लिए जिम्मेवार कौन है। क्या बीएमओ मैहर अस्पताल की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने में नाकारा साबित हो रहे है? क्या सीएमएचओ सतना का ढुलमुल रवैया अस्पताल की व्यवस्थाओं में पलीता लगा रही है। क्या जिला कलेक्टर की अनदेखी के कारण अस्पताल की व्यवस्थाये चारपाई पर है इन तमाम सवालों का आज इस खबर में विश्लेषण करेंगे साथ ही निदान कैसे हो इसपर भी बात करेंगे कि आखिर वजह क्या है।
*लगभग 40 ठेका श्रमिक कार्यरत फिर भी व्यवस्था ध्वस्त क्यो*
आपको बता दे कि अस्पताल में पूर्व में इन श्रमिको से कार्य कराने के लिए एक ठेकेदार को कार्य दिया गया था लेकिन कुछ दिन बाद अचानक से बिना किसी निविदा के एक नए ठेकेदार की एंट्री अस्पताल में कराई गई जिसका नाम पंकज मिश्रा है। अब जब नियमो को ताक में रखकर नए ठेकेदार की एंट्री हुई तो बात स्वाभाविक है कि वह मनमानी करेगा ही क्योकि उसने अवैध तरीके से एंट्री ही पाई है। आपको बता दे कि लगभग 40 श्रमिक अस्पताल की व्यवस्थाओं के लिए लगाए गए है लेकिन ये कहा कब कैसे अस्पताल में अपनी सेवाएं देते है कुछ ही लोगो को पता है। और ये बेचारे सेवाएं भी कैसे दे पाए यह भी बड़ा सवाल है। सवाल बड़ा है हम इसलिए कह रहे है क्योंकि इनकी भर्ती कलेक्टर दर पर की गई है और जो कलेक्टर दर है वह मेरी जानकारी के अनुसार लगभग 7200 से 7300 रु प्रतिमाह होना चाहिए लेकिन ठेकेदार इन श्रमिको को महज 5000 से 5500 रु ही देता है और सरेआम मिनिमम वेजेज एक्ट  का उलंघन कर रहा है लेकिन इसपर नजर न तो बीएमओ की पड़ती न ही सीएमएचओ की क्योकि इन दोनों का शुभलाभ फिक्स है। नही तो ठेकेदार पंकज मिश्रा की अवैध एंट्री कैसे हुई।
*इन ठेका श्रमिको का पीएफ कहा है*
राज्यसरकारों के सख्त निर्देश है कि जहां भी जो भी ठेका श्रमिक ठेकेदार द्वारा रखे जाएंगे उन सभी के पीएफ की कटौती शासन के नियमानुसार की जानी चाहिए व हर श्रमिक को उसके पीएफ अकाउंट की जानकारी होनी चाहिए लेकिन पिछला ठेकेदार भी अस्पताल में दो तीन वर्ष कार्य तो किया श्रमिको के पीएफ की कटौती भी की लेकिन कहा जमा किया उनका कटा गया पैसा कैसे मिलेगा किसी को नही पता। यही हाल ठेकेदार पंकज मिश्रा का है यह वर्तमान में कार्यरत लगभग 40 श्रमिको का पीएफ काट तो रहा है लेकिन ये जमा कहा कर रहा है श्रमिको का पीएफ अकाउंट नम्बर क्या है पैसा कटकर जमा हो भी रहा है यह जानने की जरूरत कभी न तो बीएमओ को हुई न ही सीएमएचओ को मतलब साफ है जब साम्राज्य टके सेर भाजी टके सेर खाजे पर चलता है तो परिणीति अव्यवस्थाओं के रूप में तय है इसलिए जिम्मेवार या तो अपनी जेब गर्म करले या सरकार और शासन की मंशा अनुरूप काम करा लें। अब निर्णय आप करे जिम्मेवार कौन....?
आज इतना ही कल बताएंगे ठेकेदार और प्रबंध का मजबूत गठजोड़ जो अव्यवस्था की मूल वजह है। साथ ही सीएमएचओ के चहेते ठेकेदार पंकज मिश्रा और उसके कर्मचारियों की अव्यवस्था का राज जिसका खामियाजा मैहर क्षेत्र की भोलीभाली जनता भुगत रही है।

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