शाजापुर । राजनीतिक समीकरणों में बदलाव कोई नई बात नहीं है। समय और परिस्थिति के अनुसार हर राजनीतिक दल और उसके नेता बदलाव करते रहते है। फिर चाहे बात राष्ट्रीय हो, प्रदेश की हो या स्थानीय राजनीति की। समीकरणों का बनना और बिगड़ना ही राजनीति है। कुछ ऐसे ही नए राजनीतिक समीकरणों का उदय 5 मार्च को शाजापुर आने वाली कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान देखने को मिल सकता है जिले में।
गौरतलब है कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी 5 मार्च को भारत जोड़ो न्याय यात्रा लेकर शाजापुर आ रहे हैं। इसी यात्रा को सफल बनाने के लिए कांग्रेस नेता पसीना बहा रहे है। बहाना भी पड़ेगा, क्योंकि पार्टी हाईकमान के साथ-साथ प्रदेश के तमाम दिग्गज भी शामिल रहेंगे यात्रा में। अब पार्टी के तमाम दिग्गज नेता आए और नए राजनीतिक समीकरणों का जन्म ना हो ऐसा हो सकता है भला। वो भी कांग्रेस जैसी पार्टी में, जहां गुटबाजी और पट्ठावाद कूट कूटकर भरा हो। राहुल गांधी के सामने यह दिखाने का भरपूर प्रयास किया जाएगा कि जिले में कांग्रेस एकजुट और बहुत मजबूत है, लेकिन इन दावों की हकीकत जिले का पार्टी कार्यकर्ता और आम मतदाता करीब 3 माह पूर्व हुए विधानसभा चुनावों में देख चुका है। मध्यप्रदेश में सरकार बनाने की दहलीज पर खड़ी कांग्रेस किस तरह टिकिट वितरण में गुटबाजी और पट्ठावाद के कारण सत्ता का वरण नहीं कर पाई ये किसी से छिपा नहीं है। राहुल गांधी के सामने भले ही ये गुटबाज नेता एक जाजम पर खड़े नजर आए, लेकिन उनके जाते ही फिर ‘जूते में दाल’ बांटने की प्रतिस्पर्धा शुरू हो जाएगी। हम बात कर रहे थे नए राजनीतिक समीकरणों की तो पूर्व जिला कांग्रेस अध्यक्ष योगेंद्र सिंह बंटी बना के भाजपा में शामिल होने के बाद उनके साथ रहे कुछ नेता पार्टी में नई राजनीतिक जमीन तलाश रहे थे। उनकी यह तलाश शायद राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान पूरी हो जाए। वहीं जिले के कई नेताओ के फोटो अपने समर्थकों के बैनर फ्लेक्स से गायब भी दिखाई दे सकते हैं।
विधानसभा चुनाव के बाद से घर बैठा जिले का कांग्रेस कार्यकर्ता यदि 5 मार्च को शाजापुर में राहुल गांधी का स्वागत करने सड़कों पर आएगा तो ये किसी स्थानीय नेता की उपलब्धि नहीं, बल्कि गांधी परिवार के प्रति उसका सम्मान और लगाव होगा। इस यात्रा के बाद फिर न जाने कब कांग्रेस के किसी आयोजन में इतने लोग एकसाथ देखने को नसीब हो। क्योंकि जिले में कतिपय नेता तो कार्यकर्ताओ का विश्वास खो चुके है विधानसभा चुनाव के बाद से ही। रही सही कसर पिछले माह साहब और उनके समर्थकों ने दिल्ली में डेरा डालकर पूरी कर दी थी।लोकसभा चुनाव को लेकर भी कांग्रेस की जिस तरह तैयारियां चल रही है वह भाजपा के मुकाबले नाकाफी है। चेहरे पर एकजुटता का मुखोटा लगाकर भले ही राहुल गांधी की यात्रा का स्वागत कर दे स्थानीय नेता, लेकिन अब इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। कांग्रेस का आम कार्यकर्ता अब समझ चुका है कि जिले में कतिपय पार्टी नेताओं और उनके समर्थकों द्वारा अपने व्यक्तिगत स्वार्थों की पूर्ति के लिए किस तरह सत्ताधारी दल के साथ हाथ मिलाकर ‘समझौता एक्सप्रेस’ दौड़ाई जा रही है। इसलिए आम कार्यकर्ता भी अब चुनाव के दौरान सत्ताधारी पार्टी के सामने खड़ा होकर बुरा बनने के मूड में नहीं है। इसके चलते लोकसभा चुनाव के दौरान जिले के कई पोलिंग बूथों पर कांग्रेस को पोलिंग एजेंट के संकट का सामना भी करना पड़ सकता है।