
डकैतों के खौफ और समाज की बंदिशें भी नहीं तोड़ें किसी अन्य महिला की जिद!
- 25 वर्ष पहले डकैतों का खौफ और आतंक अपने चरम पर था और उस समय व्यापार करने की सोंचना भी अपने पैर में बंदूक की गोली के रूप में थी। ऐसे समय में शादी के बाद उनकी ससुराल पहुंच गयीं श्रीमती छाया गुप्ता को नहीं पता था कि उन्हें ससुराल पहुंच कर घर की गृहस्थी ही नहीं मिली बल्कि पूरा परिवार ही संभालना पड़ा! लेकिन छाया गुप्ता ने मानिकपुर के आर्यनगर मिष्ठान की छोटी सी दुकान से 15 हजार रुपये की कमाई नहीं की। दफे डकैतों के फरमान, तो कभी समाज की ओछी सोच तो कभी समाज की नजरें सब कुछ छाया गुप्ता जी को झेलना पड़ा। लेकिन कहा जाता है कि अगर दृढ़ निश्चय के साथ किसी काम को शुरू किया जाए तो दर्द से राहत और परेशानी का सामना करना पड़ता है और मुश्किलें पैदा होती हैं। ऐसा ही दृढ़ निश्चय छाया गुप्ता जी का दो दशक के लंबे संघर्ष के बाद अकेले दम पर अपना व्यापार स्थापित किया गया। खास बात ये है कि छाया गुप्ता जी को त्यामा मानिकपुर और आस-पास के लोग भाभी जी के नाम से बुलाते हैं और दुकान को भी भाभी जी की मिष्ठान की दुकान के नाम से जानते हैं। स्थिर समय में उनके बेटे बेटू गुप्ता ने उनके बड़े को संभाल लिया है और उनके साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रहे हैं। छाया जी उन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत और आइकन हैं जो आगे की इच्छाएं चाहती हैं। छाया गुप्ता जी समाज की उस ओछी सोंच के लिए भी एक तमाचा है जो यह सोचा है कि एक महिला अगर घर की देहली लांघ गई तो उसकी हैसियत और कमरा सुरक्षित नहीं है। छाया गुप्ता जी ने अब तक अपने व्यापार में विविधता और रोमांस से समझौता नहीं किया। वह आज मानिकपुर में ही नहीं, बल्कि शिक्षकों की महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत सफ़ल्टम महिला की प्रशंसा कर रहे हैं
पत्रकार नेन्द्रमणि मिश्र
चित्रकूट/महानगर/मैहर