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पावन गुरु ग्रंथ साहिब सांप्रदायिक सौहार्द के प्रतीक है – श्री हरि चैतन्य महाप्रभु

पावन गुरु ग्रंथ साहिब सांप्रदायिक सौहार्द के प्रतीक है – श्री हरि चैतन्य महाप्रभु

रिपोर्टर मनमोहन गुप्ता कामां डीग 9783029649

गुरुद्वारे की प्रभात फेरी श्री हरि कृपा आश्रम पहुंची

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कामां – गुरुद्वारा द्वारा नगर में निकाली गई प्रभात फेरी प्रातः काल श्री हरि कृपा आश्रम में पहुँचीं । जहाँ आश्रम की ओर से भव्य स्वागत एंव सम्मान किया गया ।
लोगों ने पावन गुरु ग्रंथ साहब के शबद गाए व गुरु महिमा का बखान किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में उपस्थित भक्तों को संबोधित करते हुए स्वामी श्री हरि चैतन्य पुरी जी महाराज ने कहा कि वर्तमान परिपेक्ष में पावन गुरु ग्रंथ साहिब एवं उन महान गुरुओं की वाणी सर्वधर्म समभाव एवं सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश देती है। सिख पंथ के उन महान गुरुओं का बलिदान भारत के जनमानस द्वारा कभी भुलाया नहीं जा सकता। पावन गुरु ग्रंथ साहिब सांझीवाणी है जिसमें सभी वर्गों एवं समुदायों के भक्तों एवं संतों को बिना किसी भेदभाव के सम्मान पूर्वक स्थान दिया गया है।

उन्होंने कहा कि आज धर्म के अनुष्ठान बहुत अधिक बढ़े हैं लेकिन आचरण अपेक्षाकृत उतना नहीं बढ़ा है । जबकि धर्म मात्र अनुष्ठान का नहीं अपितु आचरण का विषय है । धर्म के लिए लोग आज अल्पज्ञता वश मरने को तैयार है, मारने को तैयार है । लड़ने व लड़ाने को तैयार हैं लेकिन धर्म पर चलने को तैयार नहीं हैं । जबकि धर्म तो हमारे हर क्रियाकलाप व जीवन के आचरण में उतरना चाहिए । जीवन का अभिन्न अंग बन जाए यदि धर्म तो संसार में व्यापत बुराइयाँ, कुरीतियाँ व विकृतियाँ हमारे जीवन में प्रवेश नहीं कर पाएँगी ।
कथा,प्रवचन,योग,आयुर्वेद,शिक्षा व चिकित्सा इत्यादिक जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं का व्यवसायीकरण अत्यधिक चिंता का विषय है।

उन्होंने कहा कि परमात्मा का इस सृष्टि में सबसे एक ही नाता है भक्ति का। उसके यहाँ ऊँच-नीच, जाति-पाति आदि का कोई भेद नहीं है। परमात्मा के लिए तो एक मात्र प्रेमपूर्ण भक्ति ही सर्वस्व है। भक्तिहीन मनुष्य ठीक उसी प्रकार है जैसे बिना जल के बादल, चाहे वह कितने ही उज्जवल क्यों न हो, मगर किसी के काम के नहीं होते। भक्तिहीन जीवन कितनी ही विशेषताओं से पूर्ण होने पर भी बेकार है।भक्तिमय मनुष्य परमात्मा को अत्यंत प्रिय होते हैं। और वही विशेष कृपा के अधिकारी होते साथ नहीं रहता तथा परमात्मा का साथ कभी नहीं छूटता है। अतः हमें जगत की यथासार्मथ्य सेवा करनी चाहिए। तथा सेवा का अवसर मिलने पर स्वयं को सौभाग्यशाली समझना चाहिए व सेवा के आये इस अवसर को हाथ से न जाने देने पर स्वयं को परम सौभाग्यशाली समझना चाहिए। हमें जगत में जब भी संत, गुरू, परमात्मा, बुजुर्ग, माता-पिता व धर्म एवं संस्कृति की सेवा का अवसर मिले तो सेवा अवश्य करनी चाहिए।

महाराज जी एवं उनके साथ देशभर से आए हजारों भक्तों ने भी प्रभात फेरी में भाग लिया। कार्यक्रम के बाद सभी को प्रसाद वितरित भी किया गया।

श्री महाराज जी प्रातः 5.30 बजे पावन गुरुद्वारे की प्रभातफेरी में पधारे। पैदल यात्रा कर प्रभातफेरी के साथ श्री हरि कृपा आश्रम में पधारे । जहां आश्रम की ओर से प्रभात फेरी का भव्य स्वागत एंव सम्मान किया गया । शबद कीर्तन के साथ ही श्री महाराज जी का दिव्य प्रवचन व शबद पाठ हुआ । आश्रम परिसर की परिक्रमा के बाद बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण हुआ । मानस यज्ञ व प्रवचन में हज़ारों श्रद्धालु सम्मिलित हुए।

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