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सिन्नर में सड़क निर्माण कार्य में करोड़ों के भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप; RTI के तहत भी जानकारी छिपाने की कोशिश

भ्रष्टाचार का बोलबाला: सिन्नर सड़क परियोजना में अनियमितताओं का पर्दाफाश, RTI भी बेअसर!

नाशिक, 18 अगस्त: सिन्नर तहसील में ‘ओझर हवाई अड्डे से सायखेडा, वावी’ तक की सड़क के चौड़ीकरण और डामरीकरण कार्य में लगभग 3 करोड़ रुपये की बड़ी वित्तीय अनियमितता और भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप लगाया गया है। विशेष रूप से, शिकायतकर्ताओं ने दावा किया है कि इस भ्रष्टाचार को उजागर होने से बचाने के लिए सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) के अधिकारी जानबूझकर सूचना का अधिकार (RTI) कानून का उल्लंघन कर जानकारी छिपा रहे हैं।

राष्ट्रीय रिपब्लिकन पार्टी के अध्यक्ष श्री. शिवाजी दांडगे और ऑल इंडिया मीडिया एसोसिएशन के श्री. सुधीर तुपे ने सार्वजनिक निर्माण प्रादेशिक विभाग के अधीक्षक अभियंता और मुख्य अभियंता के पास एक लिखित शिकायत दर्ज कराई है। इस शिकायत ने नाशिक सार्वजनिक निर्माण विभाग में हलचल मचा दी है।

शिकायत के अनुसार, ‘ओझर हवाई अड्डे से सायखेडा, वडांगळी, पंचाळे, मिठसागरे से वावी तक सड़क का चौड़ीकरण और डामरीकरण (रामा 35, किमी 46/500 से 51/300)’ कार्य के लिए 3 करोड़ रुपये की प्रशासकीय मंजूरी थी। इस काम का ठेका एस.एस. कंस्ट्रक्शन (S.S. Construction) नामक ठेकेदार को 2 करोड़ 69 लाख रुपये में दिया गया था।

लेकिन, जब काम का अंतिम रिकॉर्ड “सड़क का बेस कोर्स पूरा हुआ” (Road Basecourse Completed) के रूप में दर्ज है, जिसका मतलब है कि काम अभी भी अधूरा है, तब भी ठेकेदार को पूरे 3 करोड़ रुपये के बिल का भुगतान कर दिया गया है। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि अधूरे काम के लिए पूरी राशि का भुगतान, ठेकेदार और संबंधित अधिकारियों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है।

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इस घोटाले से संबंधित दस्तावेज प्राप्त करने के लिए, शिकायतकर्ताओं ने 28 अप्रैल, 2025 को सूचना का अधिकार कानून के तहत माप पुस्तिका (Measurement Book), काम की तस्वीरें, कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र और अन्य दस्तावेजों की मांग की थी। हालांकि, सिन्नर के जन सूचना अधिकारी ने कोई जानकारी प्रदान नहीं की।

इसके बाद, जब प्रथम अपील दायर की गई, तो प्रथम अपीलीय अधिकारी ने जानबूझकर चार अलग-अलग आवेदनों पर 11, 12, 13 और 14 अगस्त को अलग-अलग दिनों में सुनवाई निर्धारित की। 13 अगस्त को जब शिकायतकर्ता सुनवाई के लिए उपस्थित हुए, तो जन सूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारी दोनों ‘बीमार’ होने का कारण बताकर अनुपस्थित रहे। श्री दांडगे और श्री तुपे ने आरोप लगाया है कि यह जानकारी देने से बचने के लिए एक साजिश रची जा रही है।

शिकायतकर्ताओं की प्रमुख मांगें:

  • इस पूरे मामले की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाए और गहन जांच की जाए।
  • दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ तत्काल निलंबन और आपराधिक कार्रवाई की जाए।
  • संबंधित ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट (काली सूची में) किया जाए।

इस शिकायत ने अब सार्वजनिक निर्माण विभाग की कार्यप्रणाली पर एक बड़ा सवालिया निशान लगा दिया है। सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि वरिष्ठ अधिकारी इस मामले का संज्ञान लेकर क्या कार्रवाई करते हैं।

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