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इंडियन पब्लिक स्कूल के कार्यक्रम में कहा – शिक्षक बच्चों में संस्कार डालकर ही राष्ट्र निर्माण में निभा सकते हैं बड़ी भूमिका

इंडियन पब्लिक स्कूल के कार्यक्रम में कहा – शिक्षक बच्चों में संस्कार डालकर ही राष्ट्र निर्माण में निभा सकते हैं बड़ी भूमिका

शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ नौकरी नहीं, अच्छे नागरिक बनाना है : डीआईजी नौशाद आलम

इंडियन पब्लिक स्कूल के कार्यक्रम में कहा – शिक्षक बच्चों में संस्कार डालकर ही राष्ट्र निर्माण में निभा सकते हैं बड़ी भूमिका

रांची। पलामू के डीआईजी नौशाद आलम ने कहा कि शिक्षा का असली उद्देश्य केवल नौकरी पाना नहीं है, बल्कि बच्चों के भीतर ऐसे संस्कार और मूल्य स्थापित करना है, जो उन्हें एक अच्छा, संवेदनशील और जिम्मेदार नागरिक बनाएं। वे चंदवे पिठौरिया स्थित इंडियन पब्लिक स्कूल के एक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि राष्ट्र, समाज और परिवार की मजबूत नींव शिक्षा से ही रखी जाती है, और इस कार्य में शिक्षक की भूमिका सबसे अहम होती है। विद्यालय केवल पढ़ाई का केंद्र न होकर बच्चों में भाईचारा, अनुशासन और मानवीय मूल्यों का स्रोत होना चाहिए।
डीआईजी आलम ने विद्यालय द्वारा कई भाषाओं में पठन-पाठन की व्यवस्था की सराहना की और कहा कि सही शिक्षा वही है, जो बच्चों को माता-पिता की सेवा और बड़ों के सम्मान के संस्कार दे। उन्होंने भावुक होकर कहा कि अगर बच्चे अपने जीवन में माता-पिता की सेवा अंतिम समय तक करें, तो यही सबसे बड़ी शिक्षा होगी। लेकिन आज वृद्धाश्रम की बढ़ती संख्या इस बात का संकेत है कि बच्चों को संस्कारपूर्ण शिक्षा पर्याप्त रूप से नहीं मिल पा रही है।
उन्होंने शिक्षकों से आह्वान किया कि वे केवल ज्ञान ही न दें, बल्कि बच्चों के व्यक्तित्व में ऐसे नैतिक मूल्य और संवेदनशीलता का बीजारोपण करें, जिससे वे जीवनभर अपने परिवार, समाज और देश के लिए गर्व का कारण बनें।

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