
“नगर में पारंपरिक तरीके से निकला गया मोहर्रम का चल समारोह”
“इमाम हुसैन की शहादत को किया याद”
रिपोर्टर दिलीप कुमरावत MobNo 9179977597मनावर। (जिला धार) नगर में इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए मुस्लिम समाज ने रविवार को मोहर्रम का जुलूस परंपरागत तरीके से निकाला गया। लगभग छोटे-बड़े 70_80 ताजिए शामिल हुए। इमाम हुसैन की शान में कलाम पढ़ते हुए नाला प्रांगण स्थित इमामबाड़े से जुलूस की शुरुआत हुई। रविवार की शाम को रोजा इफ्तार के बाद जुलूस बैंड बाजें ढ़ोल ताशे के साथ चल समारोह परंपरागत मार्गो से निकाला गया। जो देर रात तक नगर भ्रमण कर इमामबाड़ा पहुंचा। इस मौके पर करबला की जंग की याद में मातम तकरीरें हुई। जुलूस के दौरान लोग मातम मनाते हुए, हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद कर रहे थे। कदमी काम ताजिए की अगुवाई में मोहर्रम का जुलूस निकाला गया। बारिश के कारण ताजियों को पॉलीथिन से ढंका गया।
“यौम-ए-आशूरा”
इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार साल के पहले महीने मोहर्रम की 9वीं तारीख को ताजिया अपने अपने घरों से जियारत के लिए बाहर निकाले और परम्परागत अखाड़ों पर ले जाएं गए। 10वीं तारीख को यौम-ए-आशूरा मनाया गया। इस दिन निकलने वाले जुलूस के दौरान करबला की जंग का जिक्र किया जाता है, जहां हजरत इमाम हुसैन और उनके साथियों ने अन्याय के खिलाफ लड़ते हुए शहादत दी थी।
“या हुसैन की गूंज”
मोहर्रम पर महाराष्ट्र, इंदौर, देवास, राजगढ़, और बड़नगर से आए बैंड बाजों ने मर्सिया और देशभक्ति के गीत गाए। बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के लोग शामिल हुए। मुस्लिम समाज के युवाओं ने विद्युत सज्जा से 50 से अधिक आकर्षक बड़े ताजियों का निर्माण किया। जिसमें आकर्षक नक्काशी की गई। घोड़ा, परी को सजकर लगाया गया।
“इत्र और लोबान की खुशबू से महक उठा इमामबाड़ा”
6 जुलाई को यौमे आशूरा का विशेष दिन है। इसे इमाम हुसैन की शहादत के रूप में मनाया जाता है। नगर के इमामबाड़े में 6 जुलाई की रात्रि से 7 जुलाई की मध्यरात्रि तक ताजियों को सामूहिक दर्शन के लिए रखा जाता है। जहां दरूद, फातिहा कर इत्र और लोबान पेश किया जाता। मान मन्नत का दौर चलता है। रेवड़ी, जलेबी, फल का तवर्रुब बाटा जाता है। इत्र और लोबान की खुशबू से समूचा इमामबाड़ा महक उठता है।“सर्वधर्म समभाव की मिशाल”
नगर में पटवा और आदिवाल परिवार द्वारा कई दशकों से ताजिया बनाया जाता है और पूर्ण आस्था के साथ चल समारोह में शिरकत करते है। हसन हुसैन कमेटी, नजरें हुसैन कमेटी, बड़े साहब, छोटे साहब, बारह भाई, धुलधुआ का ताजिया सहित कई नक्काशीदार ताजिया आकर्षण का केंद्र रहे।
“चाकचौबंद व्यवस्था”
जुलूस के दौरान शहर की व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस द्वारा पहले से तैयारियां कर सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की गई। प्रमुख मार्गों और चौराहों और इमामबाड़े पर पुलिस बल की तैनाती रही। जुलूस की निगरानी के लिए पुलिसकर्मी ड्यूटी पर रहे। साथ ही निरीक्षक दल और वरिष्ट अधिकारीयो द्वारा निरंतर दौरा कर स्थिति का जायजा लिया गया। महिलाओं के बैठने के लिए टेंट और ताजियों के लिए तख्त लगाए गए। बारिश को देखते हुए नपा और मोहर्रम कमेटी द्वारा पानी निकासी की व्यवस्था की गई है। युवाओं द्वारा शुद्ध पेयजल और शरबत की छबील लगाई गई।
सोमवार की देर रात से मंगलवार सुबह तक ताजियों को कर्बला ले जाया जाएगा। जहां ताजियों का विसर्जन किया जाएगा। पुलिस प्रशासन ने लोगों से पर्व को शांति और सौहार्द के साथ मनाने की अपील की है।