
कोटा: कृषि विश्वविद्यालय कोटा का 8वां दीक्षांत समारोह गुरुवार को राज्य कृषि प्रबंधन संस्थान के सभागार में आयोजित हुआ. जिसमें चांसलर, वाइस चांसलर व रिसर्च गोल्ड मेडल को मिलाकर अधिकांश गोल्ड पर छात्राओं ने बाजी मारी. समारोह में 14 गोल्ड दिए गए. जिनमें 9 पर छात्राएं रही हैं. जबकि केवल 5 पर छात्र रहे हैं. इसी तरह से पीएचडी में 12 स्टूडेंट्स ने अवॉर्ड लिए. इनमें आठ छात्राएं और चार छात्र हैं. समारोह में बतौर मुख्य अतिथि राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने सभी को गोल्ड मेडल व डिग्रियां सौंपी. एमएससी (फॉरेस्ट्री) फॉरेस्ट प्रोडक्ट ऑर्गेनाइजेशन की स्टूडेंट आरती चंद्रन चांसलर और बीएससी ऑनर्स एग्रीकल्चर की स्टूडेंट ट्विंकल वर्मा को दिया है. इसी तरह से चांसलर मेडल मिला है. इसी तरह से जीएसटी गोल्ड मेडल जेनेटिक्स एंड प्लांट ब्रीडिंग में शोध करने वाली रुचि बिश्नोई को दिया गया हैं.
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राज्यपाल बागडे ने इस दौरान कहा कि कोटा शिक्षा के बारे में काफी कुछ जानता है. कॉन्वोकेशन में छात्राओं के आगे होने पर उन्होंने बधाई दी. साथ ही कहा कि बेटियां आगे बढ़ेगी, तभी समाज समुचित रूप में उन्नति के पथ पर अग्रसर हो सकता है. मुझे खुशी है कि राजस्थान में बेटियां उच्च शिक्षा में निरंतर आगे बढ़ रही है. पहले जब किसी सरकारी ऑफिस में जाते तो वहां कर्मचारी पुरुष वर्ग के थे. अब आधी महिला कर्मचारी ऑफिस में होती है, आने वाले समय में यह स्थिति और बदल जाएगी और अधिकांश महिला कर्मचारी ही ऑफिस में होंगी. उन्होंने गंगानगर इलाके में रासायनिक उर्वरक का ज्यादा उपयोग करने से कैंसर के मामले बढ़ने पर चिंता जताई. साथ ही उन्होंने कहा कि जैविक खेती की तरफ किसानों को बढ़ाना चाहिए. एग्रीकल्चर कॉलेज और यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट और पास आउट स्टूडेंट को भी इस पर ध्यान देना चाहिए. कृषि विश्वविद्यालय भी इस तरफ कदम उठाए. जैविक खेती से ज्यादा से ज्यादा उत्पादन हो, ताकि रासायनिक का उपयोग करना किसान छोड़ दें.
पढ़ें: दीक्षांत समारोह में राज्यपाल बोले- देश की समृद्धि के लिए बौद्धिक-चारित्रिक विकास जरूरी – CONVOCATION IN BIKANER :- राज्यपाल बागडे ने यह भी कहा कि भारत में स्वतंत्रता के समय 34 करोड़ जनसंख्या थी, लेकिन 1951 में यह 37 करोड़ हो गई. जबकि वर्तमान में यह 147 करोड़ है. अगले 80 साल में यह दुगनी 292 करोड़ होने का अनुमान है. ऐसे में अनाज देने की जिम्मेदारी किसानों पर है. इसमें लगातार रिसर्च की जरूरत है. उन्होंने कहा कि भारत में आदमी रात की रोटी को सुबह नहीं खाता है, जबकि चार दिन पुरानी ब्रेड को बाजार से खरीद कर लाकर खा लेते हैं. उससे शरीर को नुकसान भी होता है.