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विकास खंड कौशाम्बी के बेरौंचा गांव में बने सार्वजनिक शौचालय को बने लगभग 5 वर्ष बीत गए हैं।लेकिन अभी तक शौचालय में पानी की व्यवस्था नहीं कराई गई लोग खुले में शौच जाने पर मजबूर है

अखंड भारत न्यूज़ कौंशाम्बी

बेरौचा गाँव में बने सार्वजनिक शौचालय में पानी की व्यवस्था नहीं,

लोग खुले में शौच जाने पर मजबूर,

जिला संवाददाता: प्रभाकर मिश्र/अखंड भारत न्यूज़ कौंशाम्बी
कौशाम्बी: विकास खंड कौशाम्बी के बेरौंचा गांव में बने सार्वजनिक शौचालय को बने लगभग 5 वर्ष बीत गए हैं।लेकिन अभी तक शौचालय में पानी की व्यवस्था नहीं कराई गई लोग खुले में शौच जाने पर मजबूर है।केंद्र सरकार की स्वच्छ भारत अभियान योजना के तहत लगभग सभी गांवों में शौचालयों का निर्माण करवाया गया था। शौचालय निर्माण में पंचायतें ओडीएफ भी हुई थी। सरकार की और से शौचालय निर्माण के लिए अनुदान दिया गया था। सरकार की योजना को पूरी करने के लिए अधिकारियों ने सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण तो करवा दिया, लेकिन शौचालय में उपयोग होने वाले पानी और लाइट की व्यवस्था नहीं की गई।शौचालयों में पानी की टंकी और टोंटी शोपीस लगा दी गई लेकिन उसमें से पानी नहीं निकल रहा है। रंग रोगन करके शौचालयों को चमका दिया गया है देखने में ऐसा लगे कि इसमें कोई अव्यवस्था नहीं है सब ठीक ठाक है। जबकि हकीकत इससे परे है ज्यादातर शौचालय सुविधा के अभाव में बंद हैं।

इसके चलते शौचालय नकारा साबित हो रहे हैं। अगर ये कहा जाए कि ये अधूरे शौचालय स्वच्छता अभियान की धज्जियां उड़ा रहे हैं तो गलत नहीं होगा। भले ही रिकॉर्ड में गांव शत प्रतिशत शौच से मुक्त हो गए हो, लेकिन सच्चाई ये है कि आज भी गांवों के लोग खुले में शाैच के लिए मजबूर हैं। ऐसे में सरकार की योजना पर करोड़ों की राशि खर्च हुई है। उस पर सवालिया निशान उठने लगे हैं।

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ग्रामीण इलाकों में अधिकांश परिवारों में अनुदान लेकर शौचालय का निर्माण हुआ है। वहीं कुछ गांवो में सामूहिक शौचालयों का भी निर्माण हुआ था। लेकिन शौचालय में पानी की किल्लत होने से शौचालयों का उपयोग नही हो पा रहा है और शौचालय नकारा हो गए हैं। दैनिक जागरण की टीम शौचालयों की जब जांच करने बेरौंचा गई तो गावाें में सामने आया कि शाैचालय बना ताे दिया गया है लेकिन उसमें पानी तक की सुविधा नहीं है ऐसे में लोग शौचालय उपयाेग कैसे करें। बेरौंचा गाँव के केयर टेकर रानी देवी का कहना है कि पानी की व्यवस्था नही है। इसलिए शाैचालयाें का उपयाेग नहीं हाे रहा है।

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