
नेत्रदान महादान -शिवानी जैन एडवोकेट
ऑल ह्यूमन सेव एंड फॉरेंसिक फाउंडेशन डिस्टिक वूमेन चीफ शिवानी जैन एडवोकेट ने कहा कि
नेत्रदान, रक्तदान से कम पुण्य का काम नहीं, क्योंकि इस दान से आप किसी की जिंदगी में उजाला ला सकते हैं। आंखें हमारे जिंदा रहने तक तो हमारी जिंदगी रोशन करती ही हैं, मरने के बाद भी ये किसी दूसरे की जिंदगी रोशन कर सकती हैं।
थिंक मानवाधिकार संगठन की एडवाइजरी बोर्ड मेंबर डॉ कंचन जैन, डॉ अनीता चौहान ने कहा कि प्रतिवर्ष नेत्रदान दिवस मनाया जाता है। जिसका उद्देश्य लोगों में नेत्रदान के प्रति जागरूकता फैलाना है। आज हमारे देश में ऐसे कई लोग हैं जो या तो किसी दुर्घटनावश या फिर जन्मजात अंधे हैं। जागरूकता और कुछ प्रयासों के माध्यम से इन्हें एक बेहतर जिंदगी दी जा सकती है। तो नेत्रदान की महत्वता समझें और आगे बढ़कर अपनी आंखें दान करने की शपथ लें।
मां सरस्वती शिक्षा समिति के प्रबंधक डॉ एच सी विपिन कुमार जैन, संरक्षक डॉ आरके शर्मा, डॉक्टर संजीव शर्मा, निदेशक डॉक्टर नरेंद्र चौधरी, आलोक मित्तलएडवोकेट, ज्ञानेंद्र चौधरी एडवोकेट, शार्क फाउंडेशन की तहसील प्रभारी डॉ एच सी अंजू लता जैन, बीना एडवोकेट, डॉक्टर सरोज जी, डॉक्टर सुलक्षणा शर्मा आदि ने कहा कि
गांवों से लेकर शिक्षित समाज में आज भी नेत्र दान को लेकर कई तरह की भ्रांतियां हैं कि, आंखें दान कर देने से अगले जन्म में अंधे पैदा होंगे, नेत्रदान से शरीर खराब हो जाता है। तो इन्हें दूर करने का प्रयास करें क्योंकि इनमें किसी भी तरह की सच्चाई नहीं। मरने के बाद नेत्रबैंक के व्यक्ति मृतक के चेहरे को बिना बिगाड़े आसानी से आंखों को निकाल लेते हैं। उन्होंने कहा कि चश्मा पहनने वाले, मधुमेह
(डायबिटीज़), अस्थमा, उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) और अन्य शारीरिक विकारों जैसे सांस फूलना, हृदय रोग, क्षय रोग आदि के रोगी नेत्र दान कर सकते हैं। इसके अलावा मोतियाबिंद, कालापानी या आंखों का आपरेशन करवाने वाले व्यक्ति भी आसानी से नेत्रदान कर सकते हैं।
शिवानी जैन एडवोकेट
डिस्ट्रिक्ट वूमेन चीफ