
पेशवा बाजीराव महायोद्धा-शिवानी जैन एडवोकेट
आंल ह्यूमन सेव एंड फॉरेंसिक फाउंडेशन डिस्टिक वूमेन चीफ शिवानी जैन एडवोकेट ने कहा कि 20साल की उम्र में पेशवा बनकर मराठा सत्ता की पताका को भारत में फहराने वाले महान योद्धा बाजीराव ने करीब 41 युद्धों में विजय हासिल की और इस कारण उन्हें दुनिया के महान योद्धाओं और विजेताओं की श्रेणी में रखा जाता है। भारतीय इतिहास में सुनहरे पन्ने लिखने वाले जिन महान चरित्रों की उपेक्षा हुई है, उनमें सबसे ऊपर पेशवा बाजीराव प्रथम का नाम आता है।
थिंक मानवाधिकार संगठन एडवाइजरी बोर्ड मेंबर डॉ कंचन जैन ने कहा कि पेशवा बाजीराव को 12 साल की उम्र में उनके पिता, छत्रपति शाहू के पहले पेशवा, बालाजी विश्वनाथ ने युद्ध के मोर्चे पर निर्देशित किया था। बाजीराव प्रथम जल्द ही मराठा इतिहास को बदलने वाला नेता बन गए।
मां सरस्वती शिक्षा समिति एवं प्राचीन मानवाधिकार काउंसिल सदस्य डॉ एच सी विपिन कुमार जैन, संरक्षक आलोक मित्तल एडवोकेट, ज्ञानेंद्र चौधरी एडवोकेट, बृजेश शुक्ला एडवोकेट,डॉ एच सी आरके जैन, निदेशक डॉक्टर नरेंद्र चौधरी, शार्क फाउंडेशन की तहसील प्रभारी डॉ एच सी अंजू लता जैन, बीना एडवोकेट आदि ने कहा कि बाजीराव द्वारा जीते गए युद्ध मालवा (1723), धार (1724), औरंगाबाद (1724), पालखेड की लड़ाई (1728), फिरोजाबाद (1737), दिल्ली (1737), भोपाल (1738) और वसई की लड़ाई (1739) कुछ प्रमुख थीं ।हिंदुस्तान के इतिहास में पेशवा बाजीराव प्रथम ही अकेले ऐसे महावीर महायोद्धा थे, जिन्होंने अपने जीवन काल में 41 युद्ध लड़े और एक भी युद्ध नहीं हारा, साथ ही वीर महाराणा प्रताप और वीर छत्रपति शिवाजी के बाद बाजीराव पेशवा प्रथम का ही नाम आता है जिन्होंने मुगलों से बहुत लंबे समय तक लगातार लोहा लिया था।
शिवानी जैन एडवोकेट
डिस्ट्रिक्ट वूमेन चीफ