
अंबेडकरनगर
आपरेशन के लिए जिला अस्पताल तक लगानी पड़ती है दौड़बच्चों व महिलाओं के बेहतर इलाज में हो रही मुश्किल
जलालपुर (अंबेडकरनगर)। स्टाफ की कमी से जूझ रहे सीएचसी नगपुर को खुद ही इलाज की जरूरत है।
न तो बालरोग विशेषज्ञ की तैनाती है और न ही किसी सर्जन की। ऐसे में बच्चों के इलाज व किसी भी प्रकार के ऑपरेशन के लिए मरीजों को जिला अस्पताल या फिर निजी अस्पताल का सहारा लेने को मजबूर होना पड़ता है।
मरीजों को बेहतर इलाज की सुविधाएं उपलब्ध कराने को लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा बढ़ चढ़कर दावे तो किए जा रहे लेकिन हकीकत कुछ और है। ज्यादातर सरकारी अस्पतालों में मरीजों को बेहतर इलाज की सुविधा नहीं मिल रही है। कुछ ऐसा ही हाल सीएचसी नगपुर का है। यहां चिकित्सक के कुल 11 पद सृजित हैं लेकिन सिर्फ पांच पद पर ही तैनाती है।
शेष छह पद लंबे समय से रिक्त चल रहे हैं। जिन पांच पद पर तैनाती है उसमें सीएचसी प्रभारी डॉ. जयप्रकाश, डॉ. सोनम वर्मा, डॉ. प्रीति सिंह, डॉ. अनिल व डॉ. अजय शामिल हैं। आलम यह है कि अस्पताल में बालरोग विशेषज्ञ व किसी भी प्रकार के सर्जन की तैनाती नहीं है। ऐसे में बच्चों के इलाज व किसी भी प्रकार के ऑपरेशन के लिए मरीजों को या तो जिला अस्पताल या फिर निजी अस्पताल तक की दौड़ लगानी पड़ती है। सबसे अधिक समस्या उन प्रसव पीड़िताओं को होती है जिनका ऑपरेशन होना होता है। सर्जन न होने से इधर उधर की दौड़ लगानी पड़ती है। मालूम हो कि यहां प्रतिदिन सौ ओपीडी होती है।
जिम्मेदार दिखाएं गंभीरता
शनिवार को टीम सीएचसी नगपुर पहुंची तो वहां इलाज के लिए मरीज व उनके तीमारदार इधर उधर भटकते दिखे। दरअसल सीएचसी प्रभारी डॉ. जयप्रकाश व डॉ. सोनम मौके पर मौजूद नहीं थे। सीएचसी प्रभारी बैठक में भाग लेने के लिए अकबरपुर गए हुए थे। ऐसे में ओपीडी में डॉ. अनिल, डॉ. अजय व डॉ. प्रीति ही मरीजों का इलाज कर रहे थे। छह वर्ष के बेटे अकमल के इलाज के लिए पहुंची नगपुर निवासी शमीमा ने कहा कि बेटे को उल्टी व दस्त हो रही है। यहां कोई बालरोग विशेषज्ञ नहीं है। सीएचसी प्रभारी ही बच्चों का इलाज वैकल्पिक रूप में इलाज करते हैं लेकिन अभी तक नहीं आए। एक घटे से इंतजार कर रहे हैं। नगपुर की ही ममता ने कहा कि उसका पांच वर्षीय पुत्र श्रेयांश को बुखार, उल्टी हो रही है। दो घंटे से चिकित्सक का इंतजार है। अब लगता है कि निजी अस्पताल का सहारा लेना पड़ेगा।
भेजा गया है पत्र
चिकित्सकों की तैनाती के लिए स्वास्थ्य निदेशालय को पत्र भेजा गया है। हालांकि जो भी चिकित्सक हैं उनके माध्यम से बेहतर ढंग से इलाज सुनिश्चित कराया जा रहा है। -डॉ. राजकुमार, सीएमओ