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*अतरौली से वरिष्ठ पत्रकार राधेश्याम गुप्ता द्वारा गरीब लोगों को इलाज न मिलना दुख दर्द बयान करता है* 👉अतरौली 100 सैया का संयुक्त अस्पताल में डॉक्टरों की कमी से लोग परेशानी का सामना कर रहे हैं पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने 30 बेड का अस्पताल 21 सितंबर 1977 में बाबूजी कैबिनेट में स्वास्थ्य मंत्री थे तब अस्पताल की आधारशिला रखी थी इसके बाद में 2004 में सपा सरकार में राजवीर सिंह राजू भैया जब स्वास्थ्य मंत्री थे 2004 में, तो बाबूजी के जन्म दिवस पर 70 बेड का अस्पताल बनवाने के लिए आधारशिला रखी थी और 10 साल बाद यह 100 सैया का अस्पताल बनकर तैयार हो गया और सरकार के अधीन 2015 के बाद हुआ जिसमें 25 डॉक्टर रहने चाहिए परंतु चार-पांच ही डॉक्टरों की मौजूदगी है डॉक्टरों की कमी से लोग काफी परेशान का सामना करते हैं यहां दिन के 2:00 के बाद डॉक्टर नहीं रहते हैं अगर कोई मरीज गंभीर रूप से घायल हो जाता है और अस्पताल आता है तो वह अलीगढ़ के लिए रेफर कर दिया जाता है कई बार लोगों ने इसकी शिकायत भी शिक्षा राज्य मंत्री संदीप सिंह से भी की है जबकि यह वीआईपी क्षेत्र माना जाता है, लेकिन यह 100 सैया अस्पताल सिर्फ नाम का रह गया है इस पूरे वीआईपी क्षेत्र में इसमें गंभीर बीमारी के इलाज के लिए कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं है आज भी और इससे पहले भी कुछ दवाओ के पर्चे आज भी बाहर मेडिकल स्टोर द्वारा मगाये जाते हैं 👉 अतरौली से वरिष्ठ पत्रकार राधेश्याम गुप्ता द्वारा दुख दर्द बयां किया गया कि हमारा अतरौली क्षेत्र वीआईपी होने के बाद भी अस्पताल में गंभीर बीमारी का कोई इलाज नहीं होता है , राधेश्याम गुप्ता वरिष्ठ पत्रकार द्वारा बताया गया कि हमारे उत्तर प्रदेश में जिस तरह दिल्ली में एम्स हॉस्पिटल है और भी ऐसे हॉस्पिटल हैं जहां पर निशुल्क इलाज किया जाता है गंभीर बीमारियों का लेकिन हमारे उत्तर प्रदेश में कोई भी ऐसा अस्पताल नहीं है जहां पर गंभीर बीमारियों का इलाज निशुल्क हो सके जबकि अतरौली क्षेत्र से अलीगढ़ क्षेत्र में एक अस्पताल पंडित दीनदयाल है वहां पर भी अस्पताल की हालत ठीक नहीं है वहां से भी कुछ मरीजों की जब हालत गंभीर होती है तो उन्हें अलीगढ़ जे एन मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया जाता है

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