
संत तुकाराम जी ने दी भक्ति की शिक्षा-शिवानी जैन एडवोकेट
ऑल ह्यूमंस सेव एंड फॉरेंसिक फाउंडेशन डिस्टिक वूमेन चीफ शिवानी जैन एडवोकेट ने कहा कि भारत के महान कवि तथा संत, श्री तुकाराम जी का जन्म पुणे के देहू कस्बे में सत्रहवीं सदी में हुआ था। उनके पिता छोटे-से काराबोरी थे। वे तत्कालीन भारत में चले रहे ‘भक्ति आंदोलन’ के एक प्रमुख स्तंभ थे। उन्हें ‘तुकोबा’ भी कहा जाता है। उन्होंने महाराष्ट्र में भक्ति आंदोलन की नींव डाली।
थिंक मानवाधिकार संगठन एडवाइजरी बोर्ड मेंबर डॉ कंचन जैन ने कहा कि संत तुकाराम के जीवन में एक समय ऐसा भी आया था, जब वे जिंदगी के पूर्वार्द्ध में आए हादसों से हार कर निराश हो चुके थे। जिंदगी से उनका भरोसा उठ चुका था। ऐसे में उन्हें किसी सहारे की बेहद जरूरत थी, लौकिक सहारा तो किसी का था नहीं। सो पाडुरंग पर उन्होंने अपना सारा भार सौंप दिया और साधना शुरू की, जबकि उस वक्त उनके गुरु कोई भी नहीं थे। उन्होंने विट्ठल/ विष्णु भक्ति की परपंरा का जतन करके नामदेव भक्ति की अभंग रचना की।
मां सरस्वती शिक्षा समिति के प्रबंधक डॉ एच सी विपिन कुमार जैन, संरक्षक आलोक मित्तल एडवोकेट, ज्ञानेंद्र चौधरी एडवोकेट, डॉ आरके शर्मा, निदेशक डॉक्टर नरेंद्र चौधरी, विनय गुप्ता, नेशनल मीडिया प्रेस क्लब की सम्मानित सदस्य डॉ एच सी अंजू लता जैन, एडवोकेट बीना, सीमा गुप्ता आदि ने कहा कि
अपनी भक्तिपूर्ण रचनाओं के लिए जाने वाले, संत तुकाराम की प्रेम, करुणा और भक्ति की शिक्षाएँ पीढ़ियों को प्रेरित करती रहती हैं।
संत तुकाराम ने अपना जीवन भक्ति और धार्मिकता की शिक्षाओं के प्रसार के लिए समर्पित कर दिया।
शिवानी जैन एडवोकेट
डिस्ट्रिक्ट वूमेन चीफ