
आधुनिक युग की मीरा महादेवी वर्मा- डॉ एच सी विपिन कुमार जैन
मां सरस्वती शिक्षा समिति के प्रबंधक डॉ एच सी विपिन कुमार जैन ने कहा कि प्रख्यात कवियत्रीमहादेवी वर्मा हिंदी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। उन्हें आधुनिक मीरा के नाम से भी जाना जाता है। कवि निराला ने उन्हें हिंदी के विशाल मंदिर की सरस्वती तक कहा था। महादेवी वर्मा ने आजादी के पहले के भारत के साथ आजादी के बाद का भी भारत देखा है। उनकी लेखनी में हर वह भाव नजर आते हैं ।
थिंक मानवाधिकार संगठन की एडवाइजरी बोर्ड मेंबर डॉ कंचन जैन ने कहा किवह कवयित्री होने के साथ एक विशिष्ट गद्यकार भी थीं। उनके काव्य संग्रहों में नीहार, रश्मि, नीरजा, सांध्य गीत, दीपशिखा, यामा और सप्तपर्णा शामिल हैं। गद्य में अतीत के चलचित्र, स्मृति की रेखाएं, पथ के साथी और मेरा परिवार उल्लेखनीय है। उनके विविध संकलनों में स्मारिका, स्मृति चित्र, संभाषण, संचयन, दृष्टिबोध और निबंध में श्रृंखला की कड़ियां, विवेचनात्मक गद्य, साहित्यकार की आस्था तथा अन्य निबंध शामिल हैं।
शार्क फाउंडेशन की तहसील प्रभारी डॉ एच सी अंजू लता जैन, बीना एडवोकेट, नेशनल मीडिया प्रेस क्लब क्लब जिला सचिव शिवानी जैन एडवोकेट, अध्यक्ष मां सरस्वती शिक्षा समिति शकुंतला देवी, संरक्षक आलोक मित्तल एडवोकेट, ज्ञानेंद्र चौधरी एडवोकेट, मानवेंद्र चौधरी एडवोकेट, डॉ एच सी आरके जैन, डॉ आरके शर्मा, निदेशक डॉक्टर नरेंद्र चौधरी आदि ने कहा कि
उन्होंने 1955 में इलाहाबाद में साहित्यकार संसद की स्थापना की। उन्होंने पंडित इला चंद्र जोशी की मदद से संस्था के मुखपत्र साहित्यकार के संपादक का पद संभाला। देश की आजादी क बाद 1952 में वह उत्तर प्रदेश विधान परिषद की सदस्य चुनी गईं। 1956 में भारत सरकार ने उनकी साहित्यिक सेवा के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया। 1969 में विक्रम विश्वविद्यालय ने उन्हें डी लिट की उपाधि दी।