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जब जब भी भारत की अस्मिता पर प्रश्न चिन्ह लगाएगा तब तब नापाक पाक तू मुंह तोड़ जवाब पाएगा ..विश्वदीप मिश्रा

वरिष्ठ साहित्यकार स्व दुर्गा पाठक को नवम् पुण्य तिथि पर शब्द सुमनों से दी श्रद्धांजलि

 

कवियों ने काव्य के विभिन्न रसों से श्रोताओं को किया सराबोर

रिपोर्टर दिलीप कुमरावत MobNo 9179977597

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मनावर। जिला धार।। नगर की वरिष्ठ साहित्यकार स्व श्रीमती दुर्गा पाठक की नौवीं पुण्यतिथि पर सिंघाना रोड स्थित एक निजी स्कूल के परिसर में नगर और आस-पास के कवियों ने काव्यांजलि कार्यक्रम में शब्द सुमनों से श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बीआरसीसी किशोर कुमार बागेश्वर, विशेष अतिथि मां नर्मदा जन जाग्रति संस्था अध्यक्ष तुकाराम पाटीदार, समाजसेवी सुनिल परमार बोरलाय, साहित्यकार संजय वर्मा दृष्टि और अध्यक्षता कर रहे सीएमराइज स्कूल प्राचार्य सोहन शिंदे ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर की। काव्यपाठ की शुरुआत कवियित्री रेखा शर्मा की सरस्वती वंदना से की गई।

बाल कवियित्री अनीका पाठक ने स्व दुर्गा पाठक के काव्य संकलन जिंदगी का आईना से मुस्कान शीर्षक की कविता सुनाई। युवा कवि नित मंडवाल ने पत्थर स्वयं होकर मां हमको मोम सा दुलार देती है। आधा घुट लेकर खुद हमको पूरी गागर देती है रचना पाठ किया। कवि हिमांशु वर्मा ने अपने मुक्तकों से सबका दिल जीत लिया। कवि रजत जैन ने बुंदेलखंडी भाषा में सरकारी बाबू रचना सुनाई। कवि संतोष बागेश्वर ने क्यों न मैं शिक्षक बन जाऊं रचना से शिक्षकों की महत्ता पर प्रकाश डाला। कवि कुलदीप पंड्या ने हां मैं वोट चोरी करता हूं, व्यंग्य कविता से दाद बटोरी। व्यंग्यकार विश्वदीप मिश्रा ने ऑपरेशन सिंदूर पर आधारित सिंदूर नहीं अभिमान है यह शीर्षक से जब जब भी भारत की अस्मिता पर प्रश्न चिन्ह लगाएगा। हर बार नापाक पाक तू मुंह तोड़ जवाब पाएगा रचना पाठ कर भारत के वीर जवानों और नारी शक्ति की शौर्य गाथा का वर्णन कर पाकिस्तान को जमकर लताड़ा। कवियित्री योगिता उपाध्याय तमन्ना ने मां विषय पर रचना पाठ करते हुए कहा कि मां तुझको यह भाव समर्पण। मां तुझको यह प्यार अर्पण। कवि डॉ प्रेम कुमार प्रवीण ने किसानों का दर्द कविता में पिरोया। कवि दीपक पटवा ने तुम्हारी हरकतें दूरियां बढ़ा रही है। साथ छूटे तो धोखेबाज मत कहना जैसे शेरों से काव्य रस बिखेरा। ओज कवि पंकज प्रखर ने अगर देश की बात चली तो सीमा पर हम लड़ जायेंगे। अमर तिरंगे की खातिर हम अपनी जान लुटाएंगे ओज कविताओं से वातावरण में ओज रस का संचार किया। संजय वर्मा दृष्टि ने अपनी मां पर केंद्रित रचना सुनाई।गीतकार सुखदेव राठौड़ ने अपने मुक्तकों से अलग ही छाप छोड़ी। युवा कवि संदीप जाजमें ने मां पर भावपूर्ण रचना पाठ किया। गीतकार मुकेश मेहता, राकेश अत्रे, डॉ राजेश चौहान अतुल श्रीवास्तव आदि ने अपनी रचनाओं से शब्द सुमन अर्पित किए। संचालन राम परिंदा और आभार राजा पाठक ने जताया। पाठक परिवार की ओर से शालिनी पाठक,बेबी सुभि,कैलाश मंडलोई, मुकेश पाटीदार, अनिल तोमर, प्रकाश वर्मा आदि ने समस्त कलमकारों को कलम भेंट की। देर रात तक बड़ी संख्या में उपस्थित काव्य रसीक कविताओं का रसपान करते रहे।

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