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भीषण गर्मी के मौसम में भी स्वर्ण नगरी जैसलमेर में विदेशी मेहमान जर्मनी के ग्रुप ने किया योगाभ्यास

भीषण गर्मी के मौसम में भी स्वर्ण नगरी जैसलमेर में विदेशी मेहमान जर्मनी के ग्रुप ने किया योगाभ्यास

संवाददाता : कोजराज परिहार / जैसलमेर

भारत स्वाभिमान एवं पतंजलि योग समिति के योग गुरु चूनीलाल पंवार द्वारा योग एवं प्राणायाम आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां की जानकारी देते हुए योगिंगजॉगिंग के 12 अभ्यास करवा कर हरसोलस के साथ प्रसन्नचित कर दिया प्रारंभ में ओम के उच्चारण के साथ गायत्री मंत्र उच्चारण महामृत्युंजय मंत्र विशुद्ध वसुदेव कुटुंबकम विश्व शांति सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया सर्वप्रथम भस्त्रिका प्राणायाम जिससे हमारा शरीर ऊर्जावान हो जाता है शक्तिमान हो जाता है त्वचा संबंधी सभी रोगों से मुक्ति मिलती है दूसरा प्राणायाम कपालभाती सभी प्राणायामों का राजा सर्वश्रेष्ठ प्राणायाम कपालभाती से पेट कम होगा वेट कम होगा कब्जी नहीं होगी जिनका वेट कम है उनका वेट बढ़ेगा तीसरा प्राणायामअनुलोम विलोम प्राणायाम यह नाडी शोधन प्राणायाम है इस प्राणायाम से हमारे शरीर की 72 करोड़ 72 लाख 10हजार 210 नस नाड़ियों का शोधन होगा शरीर कीमुख्य तीन नाडियां ईग्लाश से भरे पिंगला में खाली करें हिंगला और पिंगला के घर्षणसे सुषमा नाडी तीसरी नाडी का उद्भव होगा तीसरा नेत्र कहा जाता है ज्ञान की वृद्धि होगी अनुलोम विलोम प्राणायाम से आंखों की दृष्टि बढ़ेगी चश्मेउतरेंगे भारत स्वाभिमान एवं पतंजलि योग समिति के सानिध्य में जैसलमेर शहर में 25 योग की नियमित योग क्लासे चलती है शिवदान पुरी जी का धुना व्यास बगेची काला डूंगर मंदिर राम नगरमंदिर वाल्मिकी भवन टीकाराम पालीवाल उद्यान गीता आश्रम सहित पूनम सिंह स्टेडियम आईजीएनपी इंदिरा कॉलोनी सावल कॉलोनी ग्रीन पार्क बड़ा बाग रामनगर कॉलोनी अमर सागर किसन घाट मोहनगढ़ देवा रामगढ़ देवीकोट फतेहगढ़ मौलाना अंबेडकर भवन में आदरणीय श्री डलाराम जी मेघवाल 87 वर्ष की उम्र में जिनका 35 वर्ष से लगा हुआ चश्मा उतर गया योग गुरु चूनीलाल पंवार को 20 वर्ष पहले ढाई नंबर का चश्मा लगता था वह भी उतर गया 150 किलो वजन वाले का 20 किलो वजन कम हो गया 500 शुगर वाले की 150 शुगर कम हो गई योग एवं प्राणायाम से आंखों की दृष्टि बढ़ाने की विस्तृत जानकारी कराते हुए आंखों के संपूर्ण अभ्यास टरकाशन शीर्षासन पूर्ण हलासन उष्ट्रासन सिंहासन अश्वासन कर हास्यासन के 120 प्रकार प्रारूप बताकर सभी को औ हर्षोल्लास के साथ ओम ओम के वातावरण में बदलकर ओम ही सृष्टि का रचयिता है सुख का आनंद है

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