
रिपोर्ट समीर गुप्ता पठानकोट पंजाब — मौजूदा समय देश के सभी राजनीतिक दल आगामी लोकसभा चुनावों को लेकर अपनी – अपनी रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं। राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी ने अभी तक 195 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, इसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, अमित शाह, राजनाथ सिंह, स्मृति ईरानी, किरण रिजिजू, ज्योतिरादित्य सिंधिया, शिवराज सिंह चौहान जैसे बड़े नाम शामिल हैं। मुख्य विपक्षी दल और भारत की सबसे पूरानी पार्टी कांग्रेस कहीं न कहीं भाजपा के मुकाबले में हर स्तर पर पीछे ही चल रही है। कांग्रेस एक और अंदरूनी अंतर्कलह से निपटने में लगी है तो दूसरी तरफ इंडिया एलाइंस के विभिन्न दलों से सीट शेयरिंग पर भी माथापच्ची अभी तक चल रही है। आलाकमान और राज्य इकाई के बीच तालमेल की कमी लगातार उजागर हो रही है जिसका ताजा उदाहरण हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस विधायकों की बगावत रही। बहुमत होने के बाद राज्यसभा सीट पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस आलाकमान लगातार कमजोर पड़ रहा है जो पार्टी के लिए बहुत चिंताजनक है। आज के राजनीतिक परिपेक्ष्य में मेरा आंकलन है कि अभी भी कांग्रेस की हिमाचल सुक्खू सरकार पर संकट जारी है। इसके अलावा जिन दो राज्यों में कांग्रेस सरकार है उनमें भी स्थिति बहुत अनुकूल नही है। हाल ही में कांग्रेस शासित तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के बयानों पर गौर करें तो उनका झुकाव कहीं न कहीं मोदी सरकार की तरफ आकर्षित होता हुआ दिखाई दे रहा है। आज ही मुख्यमंत्री तेलंगाना ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ एक कार्यक्रम को लेकर मंच साझा किया तो उनकी बाड़ी लैंग्वेज को पढ़ने की जरूरत कांग्रेस आलाकमान को करने की जरूरत है। इसके अलावा कर्नाटक में भी मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार के बीच भी संबंध कुछ बहुत बढ़िया नही हैं। यदि कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व अभी भी सचेत नही हुआ तो इन राज्यों में भी संकट के बादल मंडरा सकते हैं।