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तुलसी-शालिग्राम विवाह का हुआ भव्य आयोजन,सैंकड़ों धार्मिक भक्तों की मौजूदगी में हुआ सम्पन्न

तुलसी-शालिग्राम विवाह का हुआ भव्य आयोजन,सैंकड़ों धार्मिक भक्तों की मौजूदगी में हुआ सम्पन्न

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रिपोर्टर मनमोहन गुप्ता कामां डीग 9783029649

कामां – कामां के राधा वल्लभ जी मंदिर में तुलसी-शालिग्राम विवाह का हो रहा भव्य आयोजन,सैंकड़ों धार्मिक भक्त महिलाओं वी पुरुषों की मौजूदगी में सम्पन्न हुआ विवाह समारोह।
तुलसी विवाह हिंदू धर्म में एक बहुत ही शुभ और पवित्र पर्व माना जाता है। इस दिन मां तुलसी और भगवान शालिग्राम का विवाह संपन्न किया जाता है। यह पर्व हर साल देव उठनी एकादशी के बाद मनाया जाता है और इसके बिना हिंदू विवाह सत्र की शुरुआत नहीं मानी जाती है। सेवायताधिकारी आशुतोष कौशिक नुनु ने बताया कि तुलसी विवाह से जुड़ी एक पौराणिक कथा बहुत प्रसिद्ध है, जो इस व्रत का महत्व और कारण बताती है। उन्होंने बताया कि बहुत समय पहले एक असुर राजकुमारी वृंदा थीं, जो भगवान विष्णु की परम भक्त थीं। वृंदा का विवाह असुरराज जालंधर से हुआ था। जालंधर बहुत शक्तिशाली था और उसकी शक्ति का रहस्य था वृंदा की पतिव्रता नारी होने की शक्ति।
जालंधर अपनी शक्ति के कारण देवताओं को पराजित करने लगा। देवता परेशान होकर भगवान विष्णु के पास पहुंचे और उनसे मदद मांगी। भगवान विष्णु ने एक उपाय निकाला। उन्होंने जालंधर का रूप धारण किया और वृंदा के सामने पहुंचे। वृंदा अपने पति को पहचान नहीं पाईं और उनका पतिव्रत धर्म टूट गया।
जब उन्हें सच्चाई का पता चला कि उनके सामने भगवान विष्णु थे, तो उन्हें बहुत दुख हुआ। उन्होंने क्रोधित होकर भगवान विष्णु को श्राप दिया कि वे “पत्थर के रूप” में बदल जाएं। यही श्राप बाद में शालिग्राम शिला के रूप में प्रसिद्ध हुआ।
वृंदा ने अपने प्राण त्याग दिए। उनके शरीर से तुलसी का पौधा उत्पन्न हुआ। भगवान विष्णु ने कहा कि वे सदैव तुलसी के बिना पूजन स्वीकार नहीं करेंगे और हर साल कार्तिक मास में उनका विवाह तुलसी से किया जाएगा।
आशुतोष कौशिक ने तुलसी विवाह का महत्व बताते हुए कहा कि इस दिन तुलसी और शालिग्राम का विवाह करने से घर में सुख, समृद्धि और शांति आती है।
माना जाता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से तुलसी विवाह कराता है, उसे कन्यादान के बराबर पुण्य प्राप्त होता है।इस दिन से ही शुभ विवाह का मौसम शुरू होता है।

तुलसी के पौधे को साफ-सुथरे स्थान पर रखें और लाल चुनरी ओढ़ाएं।
शालिग्राम जी या विष्णु की मूर्ति को तुलसी के सामने स्थापित करें।दोनों का विवाह परंपरागत विधि से करें। हल्दी, चावल, फूल, और माला से पूजन करें।आरती करें और प्रसाद बांटें। तुलसी विवाह सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह भक्ति, प्रेम और विश्वास का प्रतीक है। यह हमें सिखाता है कि सच्ची निष्ठा और भक्ति से ईश्वर सदैव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। इस अवसर पर मन्दिर में अनेकों महिलाओं सहित पुरुष ,बच्चे , भक्तजन मौजूद रहे !

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