
राजस्थान उच्च न्यायालय के प्रशासनिक न्यायाधिपति संजीव प्रकाश शर्मा ने दौसा को देवनगरी कहकर नमन किया और इसे न्यायिक संस्कृति की समृद्ध भूमि बताया। उन्होंने नवीन न्यायालय भवन को न केवल संरचनात्मक आवश्यकता की पूर्ति बल्कि न्याय को गरिमा और संवेदनशीलता के साथ जनता तक पहुँचाने का सशक्त माध्यम बताया। न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने कहा कि यह भवन न्यायालय की आत्मा को स्थान देने वाला माध्यम है, जहाँ प्रत्येक वादी को न केवल न्याय मिलेगा बल्कि न्याय का अनुभव भी होगा। उन्होंने दौसा न्यायक्षेत्र की कार्य संस्कृति, न्यायिक अधिकारियों की प्रतिबद्धता एवं बार के सहयोग की विशेष प्रशंसा की।
दौसा के संरक्षक न्यायाधीश समीर जैन ने कहा कि यह भवन केवल ईंट-पत्थर की संरचना नहीं बल्कि न्याय के प्रति विश्वास की नींव और संवैधानिक आदर्शों का कंगूरा है। उन्होंने बताया कि यह भवन समर्पण, समन्वय और समयबद्ध निष्पादन का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
इस अवसर पर राजस्थान उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल चंचल मिश्रा एवं मुख्य न्यायाधिपति के प्रधान निजी सचिव अजय सिंह की गरिमामयी उपस्थिति भी उल्लेखनीय रही। समस्त अतिथियों का परंपरागत राजस्थानी साफा पहनाकर एवं हरित प्रतीक स्वरूप पौधा भेंट कर भावपूर्ण स्वागत एवं सम्मान किया गया जिससे समारोह में सांस्कृतिक गरिमा और पर्यावरणीय संदेश का सुंदर समन्वय देखने को मिला।
इस गरिमामयी अवसर पर मुख्य न्यायाधिपति श्रीराम कलपति राजेन्द्रन के साथ उनकी धर्मपत्नी उषा श्रीराम की भी सान्निध्यपूर्ण उपस्थिति रही। इसी प्रकार संरक्षक न्यायाधिपति समीर जैन के साथ उनकी धर्मपत्नी शुचि सिंघवी जैन की उपस्थिति ने इस आयोजन को और भी गरिमा प्रदान की।
इस नवीन भवन में 6 न्यायालय संचालित किए जाएंगे जिनमें पारिवारिक न्यायालय, पोक्सो न्यायालय, मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण (एमएसीटी),अपर जिला एवं सत्र न्यायालय, अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट संख्या-2 और अपर सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय शामिल है।