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फकीर मोहन कॉलेज की छात्रा ने आत्मदाह का किया प्रयास, आरोपी प्रोफेसर गिरफ्तार, कॉलेज प्रिंसिपल और विभागाध्यक्ष निलंबित

बालेश्वर, ओडिशा: ओडिशा के बालेश्वर ज़िले के प्रतिष्ठित फकीर मोहन कॉलेज में पीएचडी द्वितीय वर्ष की एक छात्रा ने कथित मानसिक उत्पीड़न और कॉलेज प्रशासन की लापरवाही से तंग आकर आत्मदाह का प्रयास किया। यह सनसनीखेज़ घटना पूरे राज्य में शिक्षा व्यवस्था और महिला सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है।

बताया जा रहा है कि पीड़िता ने कॉलेज के सहायक प्रोफेसर समीर साहू पर दुर्व्यवहार का आरोप लगाते हुए प्रिंसिपल के समक्ष कई बार शिकायत की थी। हालांकि, कॉलेज प्रशासन ने तुरंत कोई कठोर कार्रवाई नहीं की, जिससे छात्रा मानसिक तनाव में थी। छात्रा ने बताया कि उस पर लगातार आरोप वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा था और यहां तक कि कॉलेज से निष्कासन की धमकी भी दी गई।

शनिवार को जब प्रिंसिपल ने छात्रा को अपने कक्ष में बुलाया और कथित तौर पर दबाव डाला कि वह अपनी शिकायत वापस ले, तो उसी के तुरंत बाद छात्रा ने कॉलेज परिसर में ही अपने शरीर पर पेट्रोल डालकर आत्मदाह का प्रयास किया। छात्रा को स्थानीय लोगों ने गंभीर अवस्था में बचाया और बालेश्वर जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। हालत बिगड़ने पर उसे भुवनेश्वर एम्स रेफर किया गया है, जहां उसका इलाज ट्रॉमा केयर यूनिट में चल रहा है।

छात्रा को बचाने की कोशिश में दो अन्य छात्र भी झुलस गए, जिनका इलाज बालेश्वर मेडिकल कॉलेज में किया जा रहा है।

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इस पूरे मामले को लेकर राज्य सरकार ने तत्परता दिखाते हुए कॉलेज के प्रिंसिपल दिलीप घोष और विभागाध्यक्ष मनोज कुमार साहू को निलंबित कर दिया है। वहीं, आरोपी प्रोफेसर समीर साहू को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है और कोर्ट में पेश किया गया है।

राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री सूर्यवंशी सुरज खुद एम्स पहुंचे और पीड़िता की हालत की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि यह घटना अत्यंत संवेदनशील और गंभीर है। सरकार ने उच्चस्तरीय जांच समिति का गठन कर दिया है, जिसकी रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। मंत्री ने यह भी आश्वासन दिया कि छात्रा को सर्वोत्तम चिकित्सा सुविधा दी जा रही है।

इस घटना को लेकर राजनीतिक गलियारों में भी तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। बीजेडी की महिला प्रतिनिधिमंडल ने भी छात्रा से मुलाकात कर स्वास्थ्य की जानकारी ली और परिवार से बात की। इस दल में मेयर सुलोचना दास, विधायक गौतम बुद्ध दास, स्नेहांगिनी छुरिया, राजश्री मलिक, इप्सिता साहू, लेखाश्री सामंतसिंह और प्रियव्रत माझी शामिल थे।

वहीं विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य में महिलाएं, छात्राएं, दलित और आदिवासी कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं। एक एबीवीपी नेता होने के बावजूद छात्रा को सुरक्षा नहीं मिल सकी। कई नेताओं ने यह भी सवाल उठाया कि छात्रा ने घटना से पहले सांसद को भी सूचित किया था, फिर भी कोई मदद नहीं मिली।

छात्रा के पिता ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उनकी बेटी पर लगातार मानसिक दबाव बनाया जा रहा था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कॉलेज प्रबंधन ने केवल उनकी बेटी को ही परीक्षा में बैठने से रोका जबकि अन्य छात्रों को अनुमति दी गई। उन्होंने मांग की है कि इस घटना की निष्पक्ष और न्यायपूर्ण जांच हो तथा दोषियों को कड़ी सज़ा दी जाए।

फकीर मोहन कॉलेज की यह घटना ओडिशा की उच्च शिक्षा प्रणाली में महिला सुरक्षा, मानसिक स्वास्थ्य और प्रशासनिक जवाबदेही को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े करती है। अब देखना यह होगा कि राज्य सरकार व प्रशासन इस मामले में कितना पारदर्शी और न्यायसंगत रवैया अपनाते हैं।

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