
हरपालपुर और सांडी में ग्राम प्रधानों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप, एक पर फर्जी हस्ताक्षर करने व दूसरे पर वसूली करने की बात सामने आई, DM ने दिए जांच के आदेश
उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में भ्रष्टाचार के खिलाफ शासन की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत दो ग्राम पंचायतों के प्रधानों के खिलाफ गंभीर आरोपों की जांच के आदेश DM ने जारी किए हैं। ये मामले विकास खंड हरपालपुर की ग्राम पंचायत धनियामऊ और सांडी की ग्राम पंचायत म्यौढा से संबंधित हैं। दोनों प्रधानों पर सरकारी योजनाओं में अनियमितता, फर्जीवाड़ा, और धन की हेराफेरी जैसे संगीन आरोप लगे हैं, जो ग्रामीण विकास और पारदर्शिता पर सवाल उठाते हैं।
धनियामऊ ग्राम पंचायत: फर्जी हस्ताक्षर और मनरेगा में गड़बड़ी
हरपालपुर विकास खंड की धनियामऊ ग्राम पंचायत के प्रधान पर आरोप है कि उन्होंने पंचायत के एजेंडा रजिस्टर में पंचायत सदस्यों के फर्जी हस्ताक्षर कराए। इसके अलावा, ग्राम नीति का दुरुपयोग कर विकास कार्यों में व्यापक अनियमितताएं की गईं। मनरेगा योजना के तहत मजदूरी के नाम पर फर्जी भुगतान किए गए और अपात्र व्यक्तियों को सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाया गया। ये आरोप न केवल पंचायत की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हैं, बल्कि ग्रामीण स्तर पर सरकारी योजनाओं के दुरुपयोग को भी उजागर करते हैं।
म्यौढा ग्राम पंचायत: शौचालय घोटाला और परिवारवाद
सांडी विकास खंड की म्यौढा ग्राम पंचायत के प्रधान पर भी भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं। इनमें सबसे प्रमुख है शौचालय घोटाला, जिसमें आरोप है कि 69 लाभार्थियों से शौचालय निर्माण के नाम पर 6,000 रुपये प्रति लाभार्थी की वसूली की गई। इसके अलावा, प्रधान ने अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर जॉब कार्ड जारी किए और अपने भाई की पत्नी को मनरेगा मेट नियुक्त किया, जो स्पष्ट रूप से परिवारवाद और नियमों के उल्लंघन को दर्शाता है। पंचायत के केयरटेकर को भी मानदेय नहीं दिया गया, जो पंचायत प्रशासन की लापरवाही और वित्तीय अनियमितता का एक और उदाहरण है।
DM का कड़ा रुख
DM ने इन दोनों मामलों को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश जारी किए हैं। म्यौढा ग्राम पंचायत की जांच की जिम्मेदारी जिला ग्रामोद्योग अधिकारी को सौंपी गई है। इस जांच में शौचालय घोटाले, जॉब कार्ड में हेराफेरी, और अन्य वित्तीय अनियमितताओं की गहन पड़ताल की जाएगी। धनियामऊ ग्राम पंचायत के मामले में भी संबंधित अधिकारियों को जांच के लिए निर्देशित किया गया है।
भ्रष्टाचार के तथ्य
ये मामले ग्रामीण स्तर पर भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों को उजागर करते हैं। प्रमुख तथ्य निम्नलिखित हैं:
फर्जीवाड़ा और दस्तावेजों में हेराफेरी: धनियामऊ में एजेंडा रजिस्टर में फर्जी हस्ताक्षर और मनरेगा में फर्जी भुगतान के आरोप।
शौचालय घोटाला: म्यौढा में 69 लाभार्थियों से 6,000 रुपये प्रति व्यक्ति वसूलने का आरोप, जो स्वच्छ भारत मिशन की भावना के खिलाफ है।
परिवारवाद: म्यौढा में प्रधान द्वारा अपने परिवार के लिए जॉब कार्ड और मेट की नियुक्ति, जो निष्पक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन है।
वित्तीय अनियमितता: केयरटेकर को मानदेय न देना और अपात्र व्यक्तियों को लाभ पहुंचाना।
विकास कार्यों में लापरवाही: दोनों पंचायतों में विकास कार्यों में अनियमितता और धन के दुरुपयोग के आरोप।
इन तथ्यों से स्पष्ट है कि ग्रामीण स्तर पर योजनाओं का लाभ जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच रहा, बल्कि कुछ लोग निजी स्वार्थ के लिए इनका दुरुपयोग कर रहे हैं।
DM के जांच आदेश से ग्रामीणों में उम्मीद जगी है कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। हालांकि, अतीत में कई जांचें कागजों तक सीमित रह गई हैं, जिससे जनता का विश्वास प्रशासन पर कम हुआ है। अब देखना यह है कि क्या यह जांच निष्पक्ष और समयबद्ध तरीके से पूरी होगी, या फिर यह भी औपचारिकता बनकर रह जाएगी। यदि जांच में दोष सिद्ध होता है, तो प्रधानों के खिलाफ निलंबन, वित्तीय वसूली, और कानूनी कार्रवाई जैसे कदम उठाए जा सकते हैं।