
“जैन दर्शन को अंतरराष्ट्रीय मंच पर गौरव : स्यादवाद से सजाया वैश्विक मंच”
रिपोर्टर : दिलीप कुमरावत Mob.No.9179977597
मनावर। (जिला धार) डॉ.प्रगति जैन इन्दौर दिगंबर जैन समाज की पहली महिला विदुषी बनीं जिन्होंने AI (Artificial Intelligence / कृत्रिम बुद्धिमत्ता) को जैन दर्शन व स्यादवाद से जोड़ा।
स्यादवाद जैन दर्शन का एक सिद्धांत है। जिसका अर्थ है “सापेक्षतावाद” या “शायद यह है” । इसका मतलब है कि किसी वस्तु या घटना के बारे में हमारा ज्ञान सीमित और सापेक्ष होता है। किसी भी वस्तु या घटना को पूरी तरह से समझने के लिए, हमें विभिन्न दृष्टिकोणों से उसे देखना होगा, क्योंकि प्रत्येक दृष्टिकोण वस्तु के एक पहलू को उजागर करता है।
स्यादवाद का सिद्धांत, जैन दर्शन में अनेकांतवाद का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। अनेकांतवाद बताता है कि वास्तविकता कई दृष्टिकोणों से देखी जा सकती है, और कोई भी एक दृष्टिकोण पूर्ण सत्य नहीं हो सकता है. स्यादवाद, इस सिद्धांत को व्यक्त करने का एक तरीका है, यह दर्शाता है कि किसी भी कथन को “शायद” या “एक निश्चित दृष्टिकोण से” सत्य माना जा सकता है।
40 देशों के विद्वानों के बीच लंदन मेट्रोपॉलिटन यूनिवर्सिटी में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में डॉ.प्रगति जैन के शोध को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ‘बेस्ट पेपर अवार्ड’ दिया गया।
उदयभान जैन ने अवगत कराया कि डॉ.प्रगति की उपलब्धियां समाज के लिए गर्व का विषय है। वे मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित प्राध्यापक हैं। राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मंचों से अनेक सम्मान प्राप्त किये। उनकी ओजस्वी वाणी, लेखनी, और चिंतन ने शिक्षा, समाज,और साधना तीनों क्षेत्रों में सकारात्मक परिवर्तन लाने का कार्य किया है। डॉ.प्रगति जैन पत्रकार महासंघ की राष्ट्रीय मंत्री हैं। जैन पत्रकार महासंघ के साथ अनेक संस्थाओं ने हार्दिक बधाई एवं उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएँ प्रेषित की।
जैन पत्रकार महासंघ के जिलाध्यक्ष पत्रकार अनिल जैन ने डॉ.प्रगति जैन की इस उपलब्धि पर बधाई देते हुए कहा कि उन्होंने जैन सिद्धांतों की प्रासंगिकता को वैश्विक पटल पर प्रस्तुत कर समाज की गरिमा को ऊँचाई प्रदान की।