
जनपद के सरपंच सचिव की मिली भगत से निजी जमीन में टेलीफोन जोड़कर डबरी का निर्माण करा रहे हैं।
डबरी की मिट्टी का हो रहा है पास में सड़क/सड़क के फाउंडेशन में बन रही स्टीलमाल।
खुरई,सागर, मध्य प्रदेश।
आपको यह जानना ज़रूरी है कि आज कल खुरई जनपद पंचायत भ्रष्टाचार के चलते इन दिनों हालात में है।लगातार नए नए मामले रोज़ाना समाचार की हेड लाइन बने हुए हैं।आपको बताइए। कि पहली धांगर पंचायत के बाद अब मुहँसा पंचायत भी इन दिनों सुर्खियाँ बटोर रही है। ऐसा ही एक मामला फिर प्रेस के सामने आया है। जोकी भ्रष्टाचार का एक छोटा सा ट्रेलर है। पूरी फिल्म इसकी बहुत लंबी है। जिसका मैं आपके सामने स्टेप बाय स्टेप हूँ स्टेप हर एक मामले का खुलासा होगा। इस कड़ी में
खुरई जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत मुंहसा मे सरपंच सचिव मिल कर बनवा रहा बिना उत्पादित निजी स्थान में दवारी/तालाब वह भी मशीनों से खुदाई कर रही है। मजदूरों के हक को एवं योजना के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए शासन की महत्वपूर्ण योजना, मजदूरों के काम को बेहिचक/निदरता से दिन दहाड़े मशीन चलावा कर, डबरी/तालाब का निर्माण कर रही है। या बाद में मे सरपंच सचिव,एवं जनपद अधिकारी मस्टरोल बनाने के लाखो की राशि अवश्य बंदरबांट करने के लिए तैयार होती है। प्रेस टीम को इसकी
सूचना मिलते ही,जब इस संबंध में प्रेस टीम ने मुहंसा पंचायत सचिव मुकेश नामदेव से सवाल पूछा कि आपकी पंचायत में क्या कार्य हो रहा है,इस पर पहले तो, वो साफ हो गया।और कहां कि मेरी पंचायत में कोई कार्य ही नहीं हो रहा है।इस प्रश्न पर सचिव मुकेश नामदेव ने पूरी अनभिज्ञता जाहिर की।बावजूद प्रेस टीम द्वारा मौके का निरीक्षण किया गया।जो, सूचना सही पाई गई।मौके पर जेसीबी मशीन से डबरी की खुदाई एवं 7,8 ट्रैक्टर ट्राइबल्स से मिट्टी ढोने में लगे पाए गए।यह मिट्टी पास बन रही सड़क/सड़क के फाउंडेशन में डाली जा रही हैं।
यह कार्य तब देखा गया जब पत्रकार ने पंचायत सचिव मुकेश नामदेव से सवाल पूछा कि इस कार्य का मास्टररोल कहां है, दिखाइए आप मुझे, तो सचिव का चौंका देने वाला जवाब सामने आया। सचिव बोला कि,,मस्टरोल के बाद जारी किया जाएगा। बाद में इसके मस्टरोल के माध्यम से राशि अर्जित कर लगेंगे। अब आपको बता दे,यह जानना जरूरी है कि जब मजदूर काम करता है तो उसकी हजारी रोज मस्टरोल पर डाली जाती है।मास्टर रोल सबसे पहले पहले तैयार किया जाता है जिससे यह पता चलता है कि कौन सा मजदूर कितने दिन आया और कितने दिन नहीं आया, यानी उसने कितने दिन योजना के तहत काम किया है। जिसमें काम का पूरा बेरोजगार रहता है। तब भी मजदूर की मजदूरी, उसके खाते में डाली जाती है। है।रोचक बात
वहीं त्वचा का कहना है कि जब सरपंच सचिव,जनपद अधिकारियों से मिल कर निजी जमीन में डबरी/तालाब खुदवा रहा है, तो वह जमीनी ग्रामवासियों के उपयोग के लिए पानी नहीं उठा पाएगा। इसका लाभ सिर्फ वही लेगा राशि शासन की खर्च करेगा। ग्रामीणों ने कहा कि यह डबरी की निकलने वाली मां के पास ही बन रही शासकीय,सड़क/रोड में फाउंडेशन के लिए ट्रेक्टर,ट्रालियों द्वारा डाली जा रही है।/स्तेमाल की जा रही है। यह जानना उचित है कि किस तरह निजी जमीन में मशीन से डबरी,खुदाई करके मिट्टी शासकीय रोड के फाउंडेशन में स्तेमाल कर सरकारी राशि छूप कर निजी स्वार्थ हेतु कार्य किया जा रहा है। जिस तरह की त्वचा को शासन की महत्वपूर्ण योजन
अब आप जान सकते हैं कि यहां तो गंगा उल्टी ही बह रही है। इस तरह हम हर एक मामले का खुलासा करेंगे। ताकी जरूरत मंडो को शासन की महत्वाकांक्षी योजनाओं का लाभ मिल सके।
जब इस संबंध में मुख्य कार्यपालक अधिकारी जनपद पंचायत मीना कश्यप खुरई से फोन पर बात करना चाहा तो उन्होंने फोन को जवाब ही नहीं दिया। और न ही कोई जवाब आया।