
छल -कपट और कर्म – डॉ एच सी विपिन कुमार जैन “विख्यात”
धन छल, कपट, झूठ और अन्याय से कमाया है तो वह जीवन में अशांति और बेचैनी पैदा करता ही है। ऐसे धन को धर्म के कार्य में लगाने का कोई औचित्य नहीं है। जो धन किसी बेकसूर के अश्रु बहाकर कमाया हो, किसी को दुखी करके कमाया हो, वह अनुचित है। आज सबसे बड़ा पापी वह है जो परिग्रह करता है। वर्तमान में धन से इज्जत मिलती है, भोग-विलास मिलता है। यदि व्यक्ति के पास सबकुछ है और धन नहीं है तो उसे इज्जत नहीं मिलती है।मंदिर में भगवान के साथ छल कपट करता है। भगवान को कहता है कि है भगवान आप ही मेरा सहारा हो आपके सिवा इस दुनिया में कोई मेरा नहीं है। इसके बाद बाहर आते ही भगवान को भूलकर मोह-माया में फंस जाता है।
मनुष्य जब छल, कपट करता है तो खुश होता है, लेकिन जब कर्मों का डंडा उस पर पड़ता है तो हाय हाय चिल्लाने लगता है। इसलिए हमें ईर्ष्या, छल, कपट, मायाचार न कर सरलता, विनम्रता को अपनाना चाहिए। यही कर्मों का सार है।