
कांग्रेस के बागी से हारे थे केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के पिता, खोनी पड़ी थी CM की कुर्सी
कांग्रेस के बागी नेताओं में राजेंद्र राणा भी शामिल हैं। राणा की वजह से ही केंद्रीय मंत्री (Union Minister) अनुराग ठाकुर के पिता व पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को सीएम पद की कुर्सी को खोना पड़ा था। वीरवार शाम ये खबर सामने आई कि बागी नेताओं की भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात फिक्स हुई है।
सवाल ये उठने लगा कि क्या राणा का भाजपा में प्रवेश इतना आसान होगा, जितना दिखाई दे रहा है। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने प्रेम कुमार धूमल को सीएम कैंडिडेट (CM Candidate) बनाया था। कांग्रेस ने राजेंद्र राणा को टिकट दिया था। राणा ने 1919 के अंतर से जीत हासिल की थी। हालांकि, भाजपा चाहती तो धूमल को मुख्यमंत्री का पद दिया जा सकता था, लेकिन ये पद जयराम ठाकुर के हिस्से आ गया।
बाद में भाजपा ने उत्तराखंड में धामी को सीएम कैंडिडेट बनाया था, वो भी चुनाव हारे थे, लेकिन भाजपा ने हिमाचल व उत्तराखंड के मापदंडों को अलग-अलग बनाया। धामी को सीएम पद की कुर्सी दे दी गई थी।
दिलचस्प बात ये है कि राणा ने धूमल के सानिध्य में ही राजनीतिक पारी शुरू की, लेकिन गुरु-शिष्य के रिश्ते में ऐसी खटास पैदा हुई कि वो विधानसभा चुनाव में ही एक-दूसरे के सामने आ गए।
सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के सीएम कैंडिडेट की हार राष्ट्रीय मीडिया में भी सुर्खियां बटोरने लगी थी। राणा ने 2012 का विधानसभा चुनाव आजाद उम्मीदवार के तौर पर एकतरफा जीता था। कांग्रेस ने दिग्गज नेता अनीता वर्मा को मैदान में उतारा था, जबकि भाजपा ने उर्मिल ठाकुर को टिकट दिया था। राणा अकेले ही 55.02 प्रतिशत वोट लेने में कामयाब हो गए थे।
2022 में राणा में चुनाव हारते-हारते बाल-बाल बचे थे। मात्र 399 वोटों के अंतर से जीत हासिल हुई थी। ऐसे में कांग्रेस से बगावत करने के बाद राणा का भविष्य क्या होगा, इस पर कई तरह के क्यास लगाए जा रहे हैं। राणा ने भाजपा के कैप्टन रणजीत सिंह को हराया था। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा के लिए राणा को उप चुनाव में टिकट देना आसान नहीं होगा। इससे पार्टी में असंतोष पैदा हो सकता है।
2022 के चुनाव में कैप्टन रणजीत सिंह मात्र 399 वोटों से ही चुनाव हारे थे। इसके अलावा धूमल फैक्टर को भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। बता दें कि 27 फरवरी का घटनाक्रम 21 मार्च को भी जारी रहा। इस अवधि के दौरान बागी नेता अपने विधानसभा क्षेत्रों में जनता के बीच नहीं पहुंचे हैं।
अहम बात ये भी है कि राजेंद्र राणा का ताल्लुक कांग्रेस के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ-साथ केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह के गृह जिला हमीरपुर से है। सीएम को राणा की बगावत से नाराजगी है तो अनुराग ठाकुर के जेहन में भी पिता की हार की टीस हो सकती है।